हँसी हँसारत करावा जनि तू, करै लगे बतकही जमाना
घरे के बतिया गईल जो बहरे बिछाये बइठल दरी जमाना
जमीन जेवर ई रुपिया पईसा गईल
न साथे न साथे जाई
मरब त हम तू मरब हो भयवा, न
साथे टिट्ठी चढ़ी जमाना
अबै त बाबू दुआरे
हउयै अबै त अँगना में माई सोहै
अबै से चूल्हा अलग न होई भईल
त फिर का कही जमाना
दुआर दुई ठो न होई घर में
जरीब खेतऔ में नाही लागी
सभै अगोरत सियार नियरे जमाये
बईठल दही जमाना
ई तोहरे मुंह पे तोहार
गयिहैं हमार मुंह पे ठकुरसोहाती
सही के हरदम गलत कहेला गलत के बोली सही जमाना

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