2 जून 2011

कुण्डलिया छन्द - वास्तविकता स्वीकारें

जब से आइ पि एल ने, यार जगाई आस|
काउन्टी किरकेट का, क्रेज़ रहा ना खास||
क्रेज़ रहा ना खास, वास्तविकता स्वीकारें|
निज गृह, जन, गुण, धर्म, समाज सदा सत्कारें|
निज 'भू' ही सम्मान - दिलाती - कहते तो सब|
किंतु समझते लोग, वक्त - समझाता है जब||



अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आइ सी सी की चौधराहट को आप लोग भूले नहीं होंगे| पर जब से आइ पी एल फॉर्मेट मशहूर हुआ है, इस को ले कर जब-तब आपत्तियाँ दर्ज कराई जाती रही हैं| हम मानते हैं कि आइ पी एल की अपनी खामियाँ हैं, पर क्या आइ सी सी दूध धुली थी? या है?

आज कम से कम भारतीय हुनरमंद प्रतियोगी किसी की इनायत के मोहताज तो नहीं हैं...................

भाई हमने तो अपने मन की बात कह दी है............................. आप क्या कहते हैं?

7 टिप्‍पणियां:

  1. आदत जायेगी नहीं इनकी, सुन्दर छन्द-बन्ध।

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  2. आपके कुण्डलिया छन्द का जवाब नहीं !

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  3. सही कहा काउंटी क्रिकेट का क्रेज़ न रहा खास।

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  4. बहुत अच्छा कुंण्डलिया छंद|

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  5. सही बात है ......आई पी एल ने बहुत से नवोदित भारतीय क्रिकेटरों को खेलने का मौका दिया | हर नयी प्रतिभा को सम्मान और धन दोनों मिला |

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  6. Apka swaal zaayaz hai. vaise kundliyan chhand pasand aayi. iske liye apko badhaai

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