22 जुलाई 2023

सबब पूछो न क्यों हैरतज़दा हूँ - शेषधर तिवारी

सबब पूछो न क्यों हैरतज़दा हूँ

मैं अपनी चीख सुनकर डर गया हूँ

 

वाही पीछे पड़े हैं ले के पत्थर

मैं जिनकी फ़िक्र में पागल हुआ हूँ

 

मेरे सीने पै रख के पाँव बढ़ जा

तेरी मंज़िल नहीं मैं रास्ता हूँ

 

मुझे अपनों ने क्यों ठुकरा दिया है

ये ग़ैरों से लिपट कर पूछता हूँ

 

किसी को भी बना सकता हूँ पानी

बज़ाहिर यूं तो पत्थर दिख रहा हूँ

 

सबब दरिया है या बेचारगी है

जो पत्थर हो के भी मैं बह चला हूँ

 

सहम कर चल रही है नब्ज़ मेरी

उसे लगता है मैं उससे ख़फ़ा हूँ

 

शेषधर तिवारी 

 

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