अन्तर्मन से - सरल और मृदुल कविताओं का संकलन

आभा दवे मूलतः गुजराती भाषी हैं साथ ही हिंदी भाषा पर उनका अधिकार दर्शनीय है . विवेच्य कविता संग्रह में आप ने भाषा के सरल और सरस प्रारूप को चुना है . विषय भी बहुत बोझल न हो कर आम जन से जुड़े हुए प्रतीत होते हैं . दरअसल कविता लिखते समय कुछ लोग विशिष्ट शैली के उपदेशक होने का प्रहसन करने से स्वयं को रोक नहीं पाते . इस दृष्टिकोण से आभा दवे ने स्वयं को साक्षीभाव के स्तर पर बनाए रखा है . यह इनका चौथा काव्य संग्रह है और इन्होंने भूमिका में स्पष्ट रूप से लिखा है कि इनकी कविताएँ स्वान्तः सुखाय हैं . पुस्तक का प्रकाशन इण्डिया नेट बुक्स द्वारा किया गया है और इसका मूल्य है २५०.०० रुपये . इस कविता संग्रह से कुछ उद्धरण 

 

जमुना किनारे राधा पुकारे 

ढूँढे फिरे वह साँझ सकारे 

छुप गये कान्हा तुम कहाँ

तुम तो बने थे मेरे सहारे 

 

*

 

चिलचिलाती धूप में वो बनाता है मकान आलीशान 

जिसका खुद के रहने के लिए भी नहीं होता मकान

पर उसके चेहरे पर रहता नहीं है कोई भी मलाल

रह जायेगा उसके ही काम का इस धरा पर निशान 

 

 

जब मुस्कुराती हैं ये लड़कियाँ

गजब ही ढाती हैं ये लड़कियाँ 

जमाना दुश्मन क्यों न बन जाये

हर जुल्म सह जाती हैं ये लड़कियाँ

 

ऐसी सीधी सादी सरल और मृदुल कविताओं को पढने के लिए आप आभा दवे जी की इस पुस्तकको पढ़ सकते हैं . 

 



आभा दवे जी का पता और फोन नंबर 

बी//१०३,साकेत काम्प्लेक्सथाने - पश्चिम - ४००६०१ (मुम्बई)

मोबाइल - ९८६९३९६७३१

 

 

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