9 दिसंबर 2010

सब से छोटी बहर की ग़ज़ल

मुद्दतों से एक जुनून था, सब से छोटे रूक्न पर ग़ज़ल लिखूं| गूगल पर सर्च किया, 'फाइलातुन' और 'फाइलुन' रूक्न पर ग़ज़लें मिलीं| फिर सोचा अगर इस से भी छोटे रूक्न को पकड़ा जाए तो कैसा! एक कोशिश जो की सिर्फ़ ३ मात्रा वाले रूक्न 'फअल' पर, जो अब आप सभी के सामने हाजिर है| आप सभी की राय मेरे लिए महत्वपूर्ण है| कृपया अपनी राय से ज़रूर अवगत कराने की कृपा करें|

सजन |
नमन |१|

सिफ़र |
सघन |२|

स-धन |
सु-जन |३|

महक |
चुभन |४|

शरम |
वसन |५|

धरम |
न हन |६|

समय |
वहन |७|

फिकर |
अगन |८|

कुमति |
पतन |९|

सफ़र |
जतन |१०|

60 टिप्‍पणियां:

  1. कमाल का प्रयोग है। देखते हैं ट्राई कर के। बधाई इस प्रयास के लिये।

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  2. आपका प्रयोग सफल है। ऐसे ही प्रयोगों से तो एक नई विधा का जन्म होता है। हम तो चाहेंगे कि आप इस तरह की और रचनाएं लेकर आएं।

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  3. नवीन जी मेरे लिए तो ये विषय ही नया है कुछ भी नहीं जानती निर्मला जी की बात का अनुमोदन करुँगी

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  4. पहली बार इतनी छोटी बहर की ग़ज़ल पढ़ी .....

    वाह ....क्या कमाल किया है आपने .....!!

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  5. आदरणीया श्रीमती निर्मला कपिला जी, भाई मनोज जी, रचना जी एवम् हरकीरत जी - सादर अभिवादन| इस प्रयास पर आप सभी की सराहना और शुभाषीशों के लिए बहुत बहुत आभार|

    आप सभी से एक और प्रार्थना है, चूँकि मैं ब्लॉग पर नया हूँ, सभी के संपर्क में नहीं हूँ; परन्तु अपने अग्रजों की राय जानना बहुत ज़रूरी है मेरे लिए - लिहाजा यदि आप सभी इस को अपने मित्रों के साथ बाँट सकें तो बहुत ही अनुग्रह होगा|

    आभार|

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  6. वाह सिर्फ 3 मात्रा वाले रूक्न और इतनी छोटी बहार के साथ ग़ज़ल पढना वाकई लाजवाब रहा... ज़बरदस्त!

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  7. नए प्रयोग के लिहाज़ से बढ़िया है. अपने रुक्न भी बताया ये और भी बढ़िया है.
    मैंने आज तक केवल चार शब्दों वाला किसी का बड़ा प्यारा क़ता सुना है आप भी सुनिए:-
    साक़िया साक़िया साक़िया साक़िया
    रहमकर रहमकर रहमकर रहमकर
    मय न दे मय न दे मय न दे मय न दे
    इकनज़र इकनज़र इकनज़र इकनज़र

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  8. भाई शाहनवाज़ जी शुक्रिया|

    कुँवर साब, फाइलुन रूक्न वाला कता खूबसूरत लगा| तारीफ के लिए शुक्रिया सर जी|

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  9. वाह! नवीन भाई, महान हैं आप. अभिनव प्रयोग है भाई जी. ग़ज़ल के पैमाने पर पूर्ण इस सबसे छोटी रुक्न की ग़ज़ल के लिए आप बधाई के पात्र हैं.

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  10. आप के आशीष के लिए बहुत बहुत आभार बड़े भाई श्री शेष धर तिवारी जी|

    आप जैसे अग्रज गुणी-जन ही अनुजों के प्रेरणा स्रोत होते हैं|

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  11. नवीन भाई प्रयोग तो अच्छा है,फ़िराक़ गोरखपुरी ने भी दो-शब्दों का प्रयोग किया था ग़ज़ल में पर बाद में उन्हें रास नहीं आया। साहित्य में महत्व भावपक्छ का होता है बाक़ी चीज़ों का महत्व गौण होता है।

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  12. हरी भाई, हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया|

    संजय भाई, मैं आप की बात से इत्तेफ़ाक रखता हूँ| वाकई सभी ग़ज़लें ऐसी नहीं हो सकती, उन की संपूर्णता वाकई भरे पूरे मिसरों में ही दिखती है| ये तो एक अलग तरह का प्रयोग मात्र है|

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  13. नवीन भाई आपने मुझे भी उकसा दिया है , आपकी ही बन्दिश में12 के रुक्न मेरी ग़ज़ल आपको समर्पित।

    कसा
    बदन।

    झुके
    नयन।

    लगे
    चमन।

    चली
    पवन,

    सुनो
    सजन।

    लगी
    अगन।

    तेरे
    शरण।

    न हो
    भजन।

    दुखी
    ये मन।

    हुआ
    गबन।

    करो
    जतन।

    न हो
    मिलन।

    तो दे
    सजन।

    मुझे
    कफ़न।

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  14. डाक्टर साब, ढर्रे से अलग हट के चलने का कभी-कभी सभी का मन होता है| उसी क्रम में आपकी ये कोशिश भी दर्शनीय है| बधाई| इन हिस्सों ने ज़्यादा ध्यान आकर्षित किया|

    कसा
    बदन
    झुके
    नयन
    लगे
    चमन

    चली
    पवन
    सुनो
    सजन
    लगी
    अगन

    तेरे
    शरण
    न हो
    भजन
    दुखी
    ये मन

    न हो
    मिलन
    तो दे
    सजन
    मुझे
    कफ़न

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  15. आदरणीया संगीता स्वरूप जी आप का आशीर्वाद मेरे लिए अनमोल है|

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  16. नवीन भाई,
    अच्छा है, आपका यह प्रयोग! हमारी पत्रिका ‘अभिनव प्रयास’ में भी छोटी बह्र की ग़ज़लें छपती रही हैं... आपका भी यह प्रयास रास आया... सराहनीय प्रयास है...जारी रखिए!

    प्रयोगधर्मिता बहुत उपयोगी होती है...टॉमस अल्वा एडीसन अपनी प्रयोग-धर्मिता के चलते ही तो इतना कुछ दे सका था समाज को....है न...?

    @ संजय दानी,
    जय हो...आपकी भी रचना बहुत-बहुत रास आयी...ढेर सारी बधाई!

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  17. और हाँ... नवीन भाई,
    एक रिक्वेस्ट है... प्लीज़, मेरी उक्त बधाई संजय दानी जी तक भी पहुँचा दें भाई...वरना यहीं रह जाएगी...पता नहीं वे यहाँ इस पन्ने पर दुबारा आये या न आये...है कि नहीं?

    उन्हें मालूम तो चले कि उनका एक क़द्रदान यहाँ पर भी आकर बधाई दे गया है...!

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  18. वाह बिनोद जी आपने तो एक और कमाल कर दिखाया| जय हो|

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  19. भाई जितेंद्र जौहर जी आपके आदेशानुसार आपकी टिप्पणी भाई संजय दानी जी तक ज़रूर पहुँच जाएगी| आपकी सराहना ने मुझे आपकी कद्रदानी का कायल कर दिया है| ये रचना आपकी ही है| बहुत बहुत आभार भाई जी|

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  20. अनुपमा जी और श्रद्धा जी आप दोनो की हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया|

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  21. आदरणीय जितेन्द्र जौहर जी इस नाचीज़ की तारीफ़ के लिये इस उम्मीद के साथ धन्यवाद कि आप जैसे लोगों की सर परस्ती सभी जूनियर लोगों पर जाविन्दा रहेगी।

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  22. नवीन चतुर्वेदी जी
    नमन !


    नमन !

    नमन !

    नमन !


    शब्द ही नहीं मिल रहे भाईजी , कमाल किया है !

    … और संजय दानी जी की जवाबी ग़ज़ल के लिए उन्हें भी हार्दिक बधाई !


    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  23. ...नवीन जी जनून हर किसी को तो होता ही नहीं... इसके लिए भगवान कुछ अलग किस्म के इंसानों को बनाता है.....बिलकुल उसी तरह...जैसे वो गीत है न....
    दर्द ज़माने में कम नहीं मिलते...
    सब को मोहब्बत के गम नहीं मिलते...और आप तो इन लोगों से भी बहुत ही ऊपर हैं....आप कविता से इश्क करते हैं...गज़ल से....जिसे समझाने और कहने की काबलीयत और हिम्मत.....हर किसी के पास कहाँ होती हैं.... इस जनून को मैंने बहुत ही पहले डाक्टर हरजिंदर सिंह लाल के पास देखा था....और यह जनून उनके पास आज भी कायम है...बस इसे बनाये रखना...!
    अब आपने उकसाया तो कुछ कहे बिना कहां रहा जायेगा....एक प्रयास है यह....
    बदन
    अगन.

    कमल;
    नयन.

    कहन;
    नयन.

    ज़हन;
    चुभन.

    सांस,
    जपन.

    प्रेम,
    लगन.

    सिमर;
    भजन.

    कठिन,
    लगन.

    ध्यान;
    मगन.

    नज़र;
    नमन.
    .......--रेक्टर कथूरिया

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  24. नवीन भईया....
    अलग से तो क्या कहूँ , सभी मित्र कह ही चुके हैं , बस इतना ही कि नए प्रयोग की शुरुआत है यह...... देखें अब नया क्या हो....



    _____जोगेन्द्र सिंह :))

    (मेरी लेखनी..मेरे विचार..)

    .

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  25. हमारे प्रयोग, केवल अपनी क्लासेस भर ही सीमित थे, पर कविताओं और ग़ज़लों में आपके प्रयोग तो एकदम असीमित हैं. यह प्रयोग भी एकदम अद्भुत है. आपकी रचनात्मकता को सलाम..!!

    जय हो.

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  26. नवीन जी , उर्दू का न्यूनतम ज्ञान .. पर पढ़ा तो अच्छा लगा . नए प्रयोग होते रहने चाहिए . नए गठन से ताजगी बनी रहती है.यह प्रयोग भी एकदम अद्भुत है. बधाई और शुभकामनाएँ !

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  27. श्रीमान नवीन चतुर्वेदी, मुझको कविता और गज़ल के विषय में अधिक ज्ञान नहीं है किंतु सहज भाव से आपका प्रयोग अच्छा प्रतीत हुआ।

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  28. bahut badhiya navin uncle.....badhai ho itne sabse chote gazal ke liye....bahut badhiya likha aapne

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  29. भाई राजेंद्र स्वर्णकार जी आपकी तारीफ के लिए भी नमन नमन नमन

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  30. मेरे जुनूनी मित्र भाई रेक्टर जी, बहुत बहुत आभार इस नाचीज़ की तारीफ के लिए| और आपने सच में एक और अच्छी मिसाल पेश की है| आपकी ग़ज़ल मुसलसल नहीं है, तुकबंदी भी नहीं है| हर एक लफ्ज़, एक संवाद का प्रतिनिधित्व कर रहा है| मिसरा सानी और मिसरा ऊला का भी बखूबी ध्यान रखा है आपने| जय हो| आपसे प्रार्थना है कि इस ग़ज़ल को आप अलग से ज़रूर पोस्ट करें अपने ब्लॉग से या फेसबुक या जैसे आपको उचित लगे, पर करें अवश्य| ये तारीख में दर्ज होनी चाहिए|

    मित्रो मुझे बहुत खुशी हो रही है ये देख कर कि कई सारे मित्रों ने ढर्रे पर लिखते रहते हुए भी इस नये प्रयोग पर कलम आज़माइश करने की न सिर्फ़ सोची, बल्कि कुछ ने तो अपना योगदान भी दे दिया है|

    सभी मित्रों का एक बार फिर से दिल से आभार|

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  31. जोगेंद्र भाई, अपर्णा जी, विवेक जी, पी. के. रॉय जी एवेम मेरे दुलारे और लाड़ले नये नवेले भतीजे प्रीतम जी..........

    आप सभी की हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया| आप जैसे कद्रदानों का उत्साह वर्धन ही किसी रचनाकार को कुछ करते रहने के लिए प्रेरित करता है| आप सभी की जय हो|

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  32. नवीन जी बढियां और अभिनव प्रयोग |इस सफल प्रयास के लिए बधाई स्वीकारें |लेखन में निश्चित तौर पर लेखक को अपने मन की छूट होनी चाहिए |

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  33. नवीन जी, ग़ज़ल के प्रति आपका समर्पण ही है की ऐसी रचना पढ़ने का हमें मौका मिला.आप ढ़ेर सारी बधाइयों के हक़दार हैं.
    आप के शब्दों में आपकी की जय हो.

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  34. अच्छा प्रयास है। मुनव्वर राना का एक शेर भी ध्यान में रखें-

    ग़ज़ल तो फूल से बच्चों की मीठी मुस्कराहट है,
    ग़ज़ल के साथ इतनी रुस्तमी अच्छी नहीं होती !

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  35. अभिनव, अनुपम एवं अति सुन्दर प्रयास. नित नूतन प्रयोग ही रचनाधर्मिता की सार्थकता है. मेरा साधुवाद स्वीकार करें नवीन जी

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  36. नवीन जी आपका प्रयोग कबिलेतारीफ़ है ..एक नयी ताजगी नयी सुगंध के साथ आपकी कलम ने कमाल किया है..बधाई..

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  37. achcha laga aur kuchch naya karane ki bhavna i sinchai ho gayi..wah ,,,khoob...

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  38. नवीन भाईसाहब......अपने नाम के अनुरूप ही सर्वथा नवीन प्रयोग किया है आपने....
    महक,
    चुभन...
    बहुत बढ़िया...

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  39. आप के ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा।

    आपकी ग़ज़ल के साथ-2 पाठकों की ग़ज़ल भी पसंद आई। आपको सुंदर सी ग़ज़ल लिखने के आभार।

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  40. वीरेंद्र जी, रोली जी, अलका जी, नूतन जी, सतीश जी, विभूति जी और अरुण जी आप सभी का दिल से आभार|

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  41. भाई देवमणि जी, आभार आपकी बहुमूल्य टिप्पणी और सलाह के लिए| पर दोस्त ये रुस्तमी नहीं है, ये तो ग़ज़ल का वो स्वरूप है जहाँ गागर में सागर के दर्शन हो रहे हैं|

    मेरे ख़याल से रुस्तमी वो होगी जब ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हो ग़ज़ल में, जिन्हें समझने के लिए डिक्शनरी के साथ बैठना पड़े आम आदमी को|

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  42. वाह. छोटी बह्र पर लिखना मुश्किल होता है. आपने बहुत ही अच्छा प्रयोग किया है और बहुत सफलता के साथ.

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  43. भाई राजीव भरोल जी बहुत बहुत शुक्रिया

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  44. नवीन जी ,
    आपकी ग़ज़ल ने समानान्तर और ग़ज़लें भी ला दीं -आपकी पहल काबिले तारीफ़ है.

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  45. नवीन जी.
    वन्दे मातरम.
    आपने पुरानी याद ताज़ा कर दी. १९९९ में इस तरह कफितूर सर पर स्वर था लघु बहार की मुक्तिका लिखने का.

    नैन
    बैन.

    नहीं
    चैन.

    कटी
    रैन.

    कटे
    डैन.

    मिले
    फैन.

    शब्द
    बैन.

    *
    मित्रों ने तुकबन्दी कहकर मजाक बनाया तो १५-२० रचनाओं के बाद विराम लग गया. अस्तु...

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  46. आभार आचार्य सलिल जी
    आपका प्रयास भी वंदनीय है श्रीमान

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  47. तुकबंदी का अभ्यास किया जा सकता है ,नवीन जी ,यह चीजें ,गीत या गजल का रस नहीं दे पातीं हैं

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  48. तुषार भाई एक बार फिर से दोहराता हूँ यह नियमित न हो कर प्रयोगात्मक ग़ज़ल है| जैसे सामान्य जीवन में भी कभी कभार हम लोग ढर्रे से अलग हट कर कुछ सोचते हैं, कुछ करते हैं; ठीक वैसे ही ये भी ढर्रे से अलग हट कर किया गया एक प्रयोग है| मेरे मत में बिना तुकबंदी कोई भी काव्य कृति सम्भव भी नहीं है|

    आपकी बहुमूल्य राय के लिए आभार|

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  49. Naveen ji,
    Sorry for late ..actually I am still in delhi without any network contact...hope I will be back with our friends soon...
    your shortest gazal is really wonderful..and amazing..it createdme speechless..Thanks for sharing.

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  50. आपके आशिर्वचनों के लिए सहृदय आभार त्रिपाठी जी|

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  52. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  53. बहुत बढ़िया । ज्ञानवर्धक ��

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