गणपति महोत्सव की ढेर सारी बधाइयाँ. विगताद्यतन को आप सभी से मिले उत्साहवर्धक प्रतिसाद से प्रेरित हो कर हम नवीनाद्यतन के साथ पुनः उपस्थित हैं. विभिन्न भाषाओं की स्वीकार्य, सम्भाव्य एवं रुचिकर विविध विधाओं के प्रकाशन के लिए समर्पित वेबपोर्टल साहित्यम के सद्याद्यतन में निम्नलिखित कृतियों का समावेश किया गया है.
1. गणेश वन्दना - हे गणनायक,
सिद्धिविनायक हम पर कृपा करो - राजीव मिश्र ‘मधुकर’
2. नज़्म - ख़त लिखा चाहत के साथ - गुलशन मदान
3. ग़ज़ल - तेरे होते हुए तेरी कमी में -
पूजा भाटिया
4. मराठी गझल - डाग कुणाला लागत नाही कुठल्याही बेमानीचा - चन्द्रशेखर सानेकर
5. ब्रजगजल - लिखूँ मनमीत कूँ
पाती - पूनम शर्मा 'पूर्णिमा'
6. ગુજરાતી ગઝલ - પથ્થર ને દેવ માની, બહુધા નમી ગયો છું - ચેતન ફ્રેમવાલા
7. कविता - रहे रेडियो के हम श्रोता, बड़े प्रेम से सुनते थे - अटल
राम चतुर्वेदी
8. गीत - इक दिन तुम पर गीत लिखूंगा - अशोक अग्रवाल 'नूर'
9. व्यंग्य - शादी के मौसम में भूषण के छंद - अरुणेन्द्र नाथ वर्मा
10. ग़ज़ल - मेरे फ़र्दा में बड़ी दूर तलक बनती है - नवीन जोशी नवा
11. ग़ज़ल - ख़ुशबू है सहमी सहमी सी, गुल भी उदास है - देवमणि पाण्डेय
12. ग़ज़ल - हुनर किसीको जीने का सिखा रही है ज़िन्दगी - ताज मोहम्मद सिद्दीक़ी
13. नवगीत - कितना काम किया कितना है और
बचा - सीमा अग्रवाल
14. दोहे - डॉ. अवधी हरि
15. कविता - बिछड़े सभी बारी-बारी - सन्ध्या यादव
16. व्यंग्य - शो ऑफ युग - अर्चना
चतुर्वेदी
फेसबुक, इंस्टाग्राम के दौर ने हालाँकि हमारी रुचि को प्रभावित किया अवश्य है परन्तु साहित्य के सच्चे रसिक तो आज भी अतृप्त ही हैं. कुछ नहीं होने के कारण, 'जो है' उसी से काम चलाने वाले लोगों ने आदेश दिया है कि एकदा पुनः ठोस कामों की दिशा में आगे बढ़ा जाय. साहित्यम के कुछ पुराने साथियों ने महीने दो महीने में एक समस्यापूर्ति आयोजन का सुझाव भी दिया है. अभी यह तृतीय अद्यतन है. यदि वास्तव में अन्य साहित्य रसिक भी इच्छुक दिखे तो पूर्व की भाँति साहित्यम पर पुनः रसीले क्रियाकलापों का क्रम आरम्भ करने के लिए स्वयं मैं भी उत्सुक हूँ.
आशा
करते हैं आप इस अद्यतन को अपेक्षा के अनुरूप पायेंगे. जिन जिन के लिए सम्भव हो, यदि पोस्ट्स पर कमेंट्स भी लिखे जा सकें तो आनन्द और भी बढ़ेगा. यदि आप भी अपनी स्वयं की या आपकी रुचिकर कृतियों को यहाँ
प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो उक्त कृतियों को फोटो (सन्दर्भ, जहाँ आवश्यक हो) के साथ ईमेल करने की कृपा करें.
आपके हितकर सुझावों का सदैव सहर्ष स्वागत है.
सादर सप्रेम जय श्री कृष्ण
नवीन सी. चतुर्वेदी
ब्रजगजल प्रवर्तक एवं
बहुभाषी शायर
मथुरा – मुम्बई
9967024593
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