हवा चिरचिरावै है, ब्योम आग बरसावै,
जल हू जरावै - जान - इन सों बचाय दै
केवड़ा, गुलाब और चन्दन की लाग दै कें
खिरकी झरोखन में खस लगवाय दै
आगरे कौ पेठौ लाय ल्होरे टुकड़ा कराय
बर्फ सङ्ग ताहि कोरे कुल्ला में धराय दै
एक उपकार और कर दै 'नवीन' प्यारे
अपनी बगल नेंक परें सरकाय दै
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
:)
जवाब देंहटाएंअपनी बगल नेङ्क परें सरकाय दै
लाजवाब नवीन जी !
पूरा कवित्त मस्त है !!
आप की प्रसन्नता ही छन्द की सफलता है आदरणीय , स्नेह बना रहे
हटाएंसुन्दर...सुन्दर ...नवीन जी ... आगरे कौ पेठा बर्फ संग धरिवे ते तौ सीलौ सीलौ है जावे है ...
जवाब देंहटाएंवाह वाह ठेठ बृज के मूड का छंद ।
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