23 जून 2011

चौथी समस्या पूर्ति - घनाक्षरी - घुंघटे की तिजोरी में बंद सरमाया है

सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन


आज पोस्ट लिखते हुए गुरुजी [स्व. 'प्रीतम' जी] की बहुत याद आ रही है| वो अक्सर कहते थे, दूसरों को उन की गलतियाँ बताना जितना जरूरी है, उस से हजार गुना ज्यादा जरूरी है उन की अच्छाइयों को सारे जमाने के साथ शेयर करना|

पिछली पोस्ट में हम ने धर्मेन्द्र भाई के बेजोड़ छंदों का आनंद उठाया| आज की पोस्ट में मिलते हैं एक नौजवान शायर / कवि से| शायर इसलिए कि ये गज़लों पर ही ज्यादा बातें करते रहे हैं, और कवि इसलिए कि इन्होंने छन्द भी भेजे हैं| फ़ौज़ में हैं तो ज़ाहिर सी बात है कि इन के छंदों में देशभक्ति ज्यादा है|




सीमा पार से जो हो रहा है उग्रवाद अभी,
उस पर आपकी तवज्जो अभी चाहिए|

नेता, मंत्री, सांसद जी आपसे है इल्तिजा ये,
देश के ही लोगों में तो दोष न गिनाइये|

चंद वोटों के लिए न आपस में लड़िए जी,
भाई भाई को तो आपस में न लड़ाइये|

मुल्क अपना ये घर कहता है आर पी ये,
राजनीति का अखाड़ा घर न बनाइये||

[वाह आर. पी., इस पंक्ति पर बेहतरीन प्रस्तुति| जियो मित्तर जियो| टी वी वाले छंद
पढे, घर गृहस्थी वाले छंद पढे और अब ये देश भक्ति
वाला छंद| बहुत खूब]



बड़ा धनवान और पूंजीपति है वो बड़ा,
तेरे जैसा महबूब जिसने भी पाया है |

पागल बनाया कितनों की है उडाई नींदें,
कितनों का सुख चैन तुमने चुराया है |

लाखों हैं लुटेरे यहाँ लूट लें न इसीलिए,
घुंघटे की तिजोरी में बंद सरमाया है |

इतराता था जो कभी अपनी सुंदरता पे,
देख तेरी सुंदरता चाँद भी लजाया है||

['घुंघटे की तिजोरी में बंद सरमाया' हाए हाए हाए, क्या कल्पना
है भई वाह| घनाक्षरी में शायरी की खूबसूरती,
क्या कहने| ]



डेढ़ फुटिया बन्ना भी चला ब्याह करने को,
उसको भी घोड़ी चढने का अधिकार है |

आइना भी डर जाये बन्नो की सूरत देख,
कहे मुझ पर हुआ भारी अत्याचार है |

भेंगी आँख, टेढ़ी नाक, हाथी जैसे कान लिए,
वरमाला थामे बन्नो कब से तैयार है |

गोंद में ही वरमाला पहनानी पड़ी क्यूंकि,
बन्नो का बदन जैसे क़ुतुबमीनार है||

[आईने पर अत्याचार - ओहो, और गोद में वरमाला -
वाह क्या तीर खींच के मारा है, ये डेढ़ फूटिया
भी खूब ढूँढ के निकाला है]

कवि की कल्पना एक अथाह सागर की तरह होती है| माँ शारदे किस से क्या लिखवा दें, कुछ भी पहले से तय नहीं होता| बस इसी तरह साहित्य सृजन चलता रहा है, चल रहा है, चलता रहेगा - कोई माने या न माने| लीक से हट कर चलने वाले कवि / शायरों को इसीलिए तो ज़माना याद करता है भाई| वर्तमान समय की बारीकियों को समझते हुए शायद इसीलिए भाई मयंक अवस्थी जी ने लिखा होगा "अगर साहित्य का मूल्यांकन उस के कला पक्ष पर किया जाये, तो तुलसी से अधिक कालिदास प्रासंगिक होते"|

तो सुधि पाठको, आप सभी आर. पी. के मस्त मस्त छंदों का आनंद लें, और टिप्पणियाँ भी ज़रूर दें|

फिर मिलते हैं अगले हफ्ते अगली पोस्ट के साथ|

जय माँ शारदे!

18 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया छंद लिखे है भाई आर पी जी ....

    फौजी की कविता .........असली रचना

    जिंदगी और साहित्य दोनों में दृढ संकल्पित

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  2. यह पोस्टलेखक के द्वारा निकाल दी गई है.

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  3. देशभक्ति वाला छंद लिखकर तो राणा जी ने मन मोह लिया। बहुत सुंदर छंद हैं। ग़ज़ल और नवगीत तो शानदार थे ही राणा भाई के अब घनाक्षरियाँ भी शानदार हैं। बहुत बहुत बधाई राणा भाई को।

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  4. राणा भाई
    घनाक्षरी लेखन में अपनी मौलिक सोच से आपने रुचिपूर्ण बनाया है किन्तु कहीं-कहीं लय में रवानगी कुछ कम है..... यह कला आते-आते ही आती है. अस्तु...

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  5. बड़ा धनवान और पूंजीपति है वो बड़ा,
    तेरे जैसा महबूब जिसने भी पाया है |

    पागल बनाया कितनों की है उडाई नींदें,
    कितनों का सुख चैन तुमने चुराया है |

    गहरे भाव संप्रेषित करती रचनाएँ ..!

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  6. राना परताप की जगह आर पी अभिनव प्रयोग .आधुनिकता और देश प्रेम और सरकारी बिजूकों को देसी फटकार सब कुछ एक साथ.

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  7. वाह ! आर पी भाई !! देश अपना घर है , और हम सब भाई हैं .....सुन्दर विचार !!
    सुन्दर छंदों के लिए आपको बधाई !!!

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  8. राणा प्रताप सिंह जी को बधाई।

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  9. अच्छी पोस्ट के लिए बधाई| बन्ना पढ़ने में बहुत मजा आया
    आशा

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  10. राणाजी को इन तीनो विलक्षण छंदों के लिए हमार सेल्यूट...कमाल कर दिए हैं अपने जे फौजी भैय्या तो...वाह...

    नीरज

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  11. सभी शानदार है घनाक्षरी छंद!!
    बधाई राणा जी को!!
    इस शानदा प्रस्तुति के लिए चतुर्वेदी जी आपका आभार!!

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  12. वाह .. इन खूबसूरत छंदों ने तो मन मोह लिया ... देश-भक्ति और हास्य सभी कुछ है यहाँ ... बधाई राणा जी और आपको भी ..

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  13. बहुत मौलिक एवं अभिनव छंद रचना ! राणाप्रताप जी को बधाई !

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  14. सुन्दर जानदार प्रस्तुति.
    बहुत बहुत बधाई.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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  15. दूसरों को उन की गलतियाँ बताना जितना जरूरी है, उस से हजार गुना ज्यादा जरूरी है उन की अच्छाइयों को सारे जमाने के साथ शेयर करना |

    सुन्दर

    अतिसुन्दर

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  16. राणा प्रताप जी,
    आपके सभी छंद पसंद आए,
    बहुत सुंदर लिखा है आपने।
    बधाई।

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