10 अक्तूबर 2010

साईं मुझको गले लगा ले

तुझसे बातें करने तेरे दर पे आया हूँ
साईं मुझको गले लगा ले, मैं न पराया हूँ 


ज्ञान की ज्योत जला, मन का अन्धकार हटाया है
श्रद्धा और सबूरी का रसपान कराया है
कुछ भी नहीं इन्साँ की हस्ती, तूने बताया है
कितना गरूर भरा था मन में, तूने मिटाया है
तेरे चरनों में अर्पित करने, वो ही सर लाया हूँ
साईं मुझको गले लगा ले, मैं न पराया हूँ 


मन का मैल मिटा कर इसमें, तुझे बिठाऊँ मैं

तेरी महिमा सुनूँ, सुनाऊँ, हर दम गाऊँ मैं
सुनूँ तजुर्बे औरों के, अपने भी सुनाऊँ मैं
कम से कम इक बार बरस में, शिर्डी जाऊँ मैं
साईं तू मेरा तन है, मैं तेरी छाया हूँ
साईं मुझको गले लगा ले, मैं न पराया हूँ

अच्छा - बुरा, सबल और निर्बल, निर्धन या धनवान
राजा हो या रंक सभी हैं तेरे लिये समान
सबके सब तेरे अपने हैं, तू सबका भगवान
तेरी क्रपा द्रश्टि का अधिकारी है हर इन्सान
यही भरोसा ले कर तुझसे मिलने आया हूँ
साईं मुझको गले लगा ले, मैं न पराया हूँ

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