बुलबुलों से तितलियों से जुगनुओं से हो लगाव
बागवाँ तो वो है जिसको ख़ुश्बुओं से हो लगाव १
जब कोई गुलशन उजड़ता है तो खिल उठते हैं वो
है बहुत मुमकिन कि उनको उल्लुओं से हो लगाव २
दे के सब तालीम बेटी से कहा माँ-बाप ने
उस से रहना दूर जिसको घुँघरुओं से हो लगाव ३
हसरतों के आशियाँ को बस उसी की है तलाश
जिसको खुशियों से ज़ियादा आँसुओं से हो लगाव ४
लोग दानिशमंद इशारा भाँप लेते हैं
तुरंत
उनसे क्या कहिये जिन्हें पिछलग्गुओं से हो लगाव ५
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे रमल मुसमन महजूफ
फाएलातुन फाएलातुन फाएलातुन फाएलुन
2122
2122 2122 212
वाह! बहुत खूब!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव लिए रचना |
ReplyDeleteआशा
क्या बात है , उल्लुओं तो ट्विटर पर भेजा है . आशा है और लोग आयेंगे यहाँ . एक दिन ठाले बैठे आपको पढ़ना है आद्योपरांत !!
ReplyDeleteबुलबुलों से तितलियों से जुगनुओं से हो लगाव
ReplyDeleteबागवाँ तो वो है जिसको ख़ुश्बुओं से हो लगाव
बहुत सुंदर रचना!
Gazal mein naya rang hai . Aapko
ReplyDeletebadhaee .
बहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
bahut sundar gazal
ReplyDeleteबुलबुलों से तितलियों से जुगनुओं से हो लगाव,
ReplyDeleteबागवाँ तो वो है जिसको खुश्बुओं से हो लगाव ।
बहुत बढि़या शेर।
बुलबुलों से तितलियों से जुगनुओं से हो लगाव
ReplyDeleteबागवाँ तो वो है जिसको ख़ुश्बुओं से हो लगाव
बहुत सुन्दर रचना....सादर अभिनन्दन !!