ऐसा ठुकराया
है किसी की यादों ने
जैसे पिंजड़े
खोल दिये सय्यादों ने
उस पत्थर-दिल
को शायद मालूम नहीं
लैला को मशहूर
किया फ़रियादों ने
दिल टूटे, साँसें
उखड़ीं तब राज़ खुला
महल सम्हाले
रक्खे थे बुनियादों ने
इश्क़ इसे कहिये
या फिर कहिये बैराग
ठण्डा कर डाला
है सुलगती यादों ने
राम तो बन गये
अवध-नरेश मगर साहब
मन का मन्दर
लूट लिया मरयादों ने
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
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