उठा के हाथ में
खञ्जर मेरी तलाश न कर
अगर है तू भी
सिकन्दर मेरी तलाश न कर
दरस-परस के सिवा
कौन जान पाया मुझे
मुझी से आँख
चुरा कर मेरी तलाश न कर
अगर सुगन्ध की
मानिन्द उड़ नहीं सकता
तो घर में बैठ
बिरादर मेरी तलाश न कर
अभी अँधेरों
के दर तक ज़िया नहीं पहुँची
हसीन रात के
लश्कर मेरी तलाश न कर
मैं वो हूँ जिस
को अनासिर सलाम करते हैं
ख़ला के खोल के
अन्दर मेरी तलाश न कर
किसी के दिल
को दुखाना मुझे दुखाना है
किसी के दिल
को दुखा कर मेरी तलाश न कर
मैं ख़ुद ख़ुदा
हूँ कहीं भी रहूँ मेरी मरज़ी
तू सिर्फ़ अपनी
डगर पर मेरी तलाश न कर
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
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