सूरज बनने
की धुन में काया झुलसा ली?
क्या कहने
जिस को घर
कहते थे वो कुटिया भी जला दी? क्या कहने
नैन-मटक्का
करती है मतलब पर चूक नहीं सकती
तिस पर ख़ुद
को बतलाती है सीधी-सच्ची – क्या कहने
उड़-उड़ कर कब
तक उड़ती,
तिस पर ऊँचा रहने का शौक़
तितली ने
आख़िर हाथी से शादी कर ली – क्या कहने
इधर उधर से
तस्वीरें ले कर कम्प्यूटर में डालीं
जोड़-तोड़ कर
एक नयी तस्वीर बना ली – क्या कहने
ठीक-ठाक सा
एक मिसरा भी कहना जिनको दूभर है
उन के नाम
पचीसों ग़ज़लें!! वो भी अच्छी!!! क्या कहने
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
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