जग में ढूँढा प्रेम,
तो, अब तक अचरज होय
कान्हा तो लाखों मिले,
मीरा मिली न कोय
क्वारेपन के रतजगे,
बहकी-बहकी बात
छत पर हाये भीगना,
सारी सारी रात
खाकी वर्दी देख कर,
बौराया उन्माद
जिस दिन लौटा डाकिया,
सारा दिन बर्बाद
पीपल के पत्ते बँधी,
चिट्ठी की सौगात
भौजी करे ठिठोलियाँ,
रहे लगाये गात
महुये के रस से भरे,
बड़े-बड़े दो नैन
घुङ्घर वाले बाल ने,
लूटा दिल का चैन
होली में भिजवा दिया,
बैरी ने सन्देश
फिर तो फागुन रूठ कर,
जा पहुँचा परदेश
इक कचनारी आग में,
तपे गुलाबी-गाल
किस ने फेंका है भला – ये
सम्मोहन-जाल
लाल चूड़ियों से बजे,
भरे-भरे दो हाथ
दो पल में ही हो गया,
जीवन भर का साथ
:- सुमन सरीन
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