अल्प वस्त्र में अधखुले, अति आकर्षक
अंग.
चंचल मन को मारिये, व्यर्थ
करे यह तंग..
आमंत्रण दें द्रौपदी, चीर मचाये
शोर.
लूट रहे अब लाज को, कलि के
नन्दकिशोर.
'स्वीटी' 'डार्लिंग'
कर्णप्रिय, अप्रिय 'बहनजी'
शब्द.
'मैडम' 'मिस' मन मोहते, अम्बरीष निःशब्द..
अनशन ही अपनाइए, दे इच्छित
आकार.
सत्ता की सीढ़ी बने, पावन
भ्रष्टाचार..
क्षत-विक्षत यदि रीतियाँ, शर्मिन्दा क्यों आर्य.
'डेटिंग' पर मिस यदि गयीं,
अक्षत हो कौमार्य..
भ्रष्टाचारी जो बने, उन पर
कहाँ नकेल.
मर्माहत माँ भारती, संत चले
अब जेल..
कितना हुआ विकास है, देखें
एक मिसाल.
गिरता जाता रूपया, डालर
करे कमाल..
सन सैतालिस सा सजन, यह चौदह
का साल.
क्या-क्या होना है अभी, उठने
लगा सवाल..
सपना देखा साधु ने, दिया
अनोखा मंत्र.
छिपी सुरंगें छोड़कर, सोना
खोदे तंत्र..
मंदबुद्धि वह है कहाँ, मत कह
रंगा सियार.
माँ की उस पर है कृपा ठहरा राजकुमार..
कपट गुंडई लूट छल, किडनैपिंग
औ रेप.
सत्ता से उपहार में, मिलती
ऐसी खेप ..
या अंग्रेजी में छपे, या फिर
उर्दू कार्ड.
देवनागरी त्याज्य है, भाई साहब
लार्ड..
कैसा यह दुर्भाग्य है, मूल कर
दिया लुप्त.
हिन्दी-हिन्दी जाप हो, हुई संस्कृत
सुप्त..
पढ़े विदेशी संस्कृत, भारतीय
हों बोर.
देवनागरी छोड़कर, अंग्रेजी
का जोर..
खाया चारा कोयला, प्यार
चढ़ा परवान.
करें दलाली मित्रवर, बहुत
भला ईमान..
दो-दो बोगी भूनकर, बदले
में ली जान.
वाह-वाह इंसानियत, देख लिया
ईमान..
जिसे बालिका जानकर, दिया
गर्भ में मार.
वही पूछती प्रश्न अब, कैसे
हो उद्धार..
जनहित में दंगे हुए, सम्यक
हुआ प्रयास.
अभी मिलेगा मुफ्त में, सुख सुविधा
आवास..
साझा सारी सूचना, करें
देश से प्यार.
जागरूक हों नागरिक, उपयोगी
'आधार'..
शहरों में सम्पन्नता, सारे
गाँव गरीब.
मनरेगा में भी लुटे, कैसा
हाय नसीब??
देख दुर्दशा देश की, चिंतित मत हों यार.
नमो-नमो जप आप लें, निश्चित बेड़ा पार
:- अम्बरीष श्रीवास्तव
वाह, बड़ा मज़ेदार
जवाब देंहटाएंअच्छे सूचनामय दोहे ....
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