दिल के दरवाज़े तलक बू-ए-वफ़ा आने दे।
धूल उड़ती है तो उड़ने दे - हवा आने दे॥
ज़ख्म ऐसा है कि उम्मीद नहीं बचने की।
जब तलक साँस है, नज़रों की शिफ़ा आने दे॥
मौत! वादा है मेरा, साथ चलूँगा तेरे।
बस ज़रा उस को कलेज़े से लगा आने दे॥
वो बहुत जल्द किसी और की हो जायेगी
रोक मत - उस को - सुबूतों को जला आने दे
मैं
भी कहता हूँ कि ये उम्र इबादत की है।
दिल
मगर कहता है कुछ और मज़ा आने दे॥
:-
नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन
2122
1122 1122 22
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.
विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.