दर्द के हाथों में परचम आ गया
बात में लहजा मुलायम आ गया
क्या करिश्मे हो रहे हैं आज कल
आप को आवाज़ दी, ग़म आ
गया
हम ने समझा प्यार बरसायेगा प्यार
अश्क़ बरसाने का मौसम आ गया
चार दिन तक ही रही दिल में बहार
फिर उजड़ जाने का मौसम आ गया
आज नज़राने की थी उस से उमीद
भर के वो आँखों में शबनम आ गया
चल, नई धुन छेड़ कर आलाप लें
ज़िन्दगी की ताल में सम आ गया
शाम को तो तैश मत खाएँ 'नवीन'
सूर्य भी पूरब से पच्छम आ गया
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बढ़िया,बेहतरीन गजल ...!
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आज नज़राने की थी उस से उमीद
जवाब देंहटाएंभर के वो आँखों में शबनम आ गया ...
नवीन भई हर शेर लाजवाब नजराने की तरह है पढ़ने वालों के लिए ... कमाल की सादगी लिए उम्दा गज़ल ...