सारी
नदियाँ,
सारी बारिश, उनके हिस्से में,
सिर्फ़ रेत के टीले आये मेरे हिस्से में.
मेरे हिस्से में फूलों का रंग रूप केवल,
फूलों की ख़ुशबू है जाने किसके हिस्से में.
कैसे हैं ये नियम कि सारा अंधकार मेरा,
सूरज की हर एक किरन है उनके हिस्से में.
चौड़ी सड़कें, तेज़ रोशनी, और ये फ़व्वारे,
सब कुछ उनका ही है, क्या है मेरे हिस्से में.
दीवारें हिलती हें जिसकी छत गिरने को है,
मैं रहता हूँ अब तक घर के ऐसे हिस्से में.
बस्ती के आधे हिस्से में अफ़वाहों का ज़ोर,
कर्फ़्यू जारी है बस्ती के आधे हिस्से में
सिर्फ़ रेत के टीले आये मेरे हिस्से में.
मेरे हिस्से में फूलों का रंग रूप केवल,
फूलों की ख़ुशबू है जाने किसके हिस्से में.
कैसे हैं ये नियम कि सारा अंधकार मेरा,
सूरज की हर एक किरन है उनके हिस्से में.
चौड़ी सड़कें, तेज़ रोशनी, और ये फ़व्वारे,
सब कुछ उनका ही है, क्या है मेरे हिस्से में.
दीवारें हिलती हें जिसकी छत गिरने को है,
मैं रहता हूँ अब तक घर के ऐसे हिस्से में.
बस्ती के आधे हिस्से में अफ़वाहों का ज़ोर,
कर्फ़्यू जारी है बस्ती के आधे हिस्से में
:- अशोक रावत
वाह, बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंक्या बात है...
जवाब देंहटाएंwaah ...kuchh to mila ....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।
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