सारी नदियाँ, सारी बारिश, उनके हिस्से में - अशोक रावत

सारी नदियाँ, सारी बारिश, उनके हिस्से में,
सिर्फ़ रेत के टीले आये मेरे हिस्से में.

मेरे हिस्से में फूलों का रंग रूप केवल,
फूलों की ख़ुशबू है जाने किसके हिस्से में.

कैसे हैं ये नियम कि सारा अंधकार मेरा,
सूरज की हर एक किरन है उनके हिस्से में.

चौड़ी सड़कें, तेज़ रोशनी, और ये फ़व्वारे,
सब कुछ उनका ही है, क्या है मेरे हिस्से में.

दीवारें हिलती हें जिसकी छत गिरने को है,
मैं रहता हूँ अब तक घर के ऐसे हिस्से में.

बस्ती के आधे हिस्से में अफ़वाहों का ज़ोर,
कर्फ़्यू जारी है बस्ती के आधे हिस्से में

:- अशोक रावत

5 टिप्‍पणियां:

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.