चन्द अशआर - अमीर कज़लबाश

मेरे साये में सब हैं मेरे सिवा
कोई तो मेरी सायबानी  करे

मुझको अक्सर ये हुआ है महसूस
कोई कुछ पूछ रहा हो जैसे

हो रहा है अगर जुदा मुझसे
मेरी आँखों पे उँगलियाँ रख जा

फल दरख़्तों से तोड़ लो ख़ुद ही
जाने कब आयें आँधियाँ यारो

बड़ा बेशक़ीमत है सच बोलना

मेरे सर पे लाखों का इनआम है

अगर रहगुज़र ये नहीं है तो फिर
यहाँ इन दरख़्तों का क्या काम है

वो सिरफिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे
मैं आख़िरी चिराग़ था जलना पड़ा मुझे

मुझमें किस दरजा पुरानापन है

तुझको छू लूँ तो नया हो जाऊँ

मैं पहली बार उस से सच कहूँगा
ख़ुदा जाने उसे कैसा लगेगा

खौफ़ तनहाई घुटन सन्नाटा
क्या नहीं मुझमें जो बाहर देखूँ

क्या ख़रीदोगे चार आने में
अक़्लमंदी है घर न जाने में

तबसरा कर रहे हैं दुनिया पर
चन्द बच्चे शराबखाने में

उस के घर में तो ख़ुद अँधेरा है
वो किसी को चिराग़ क्या देगा 

:- अमीर कज़लबाश

[लफ़्ज़ से साभार]

4 टिप्‍पणियां:

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.