मेरे साये में सब हैं मेरे सिवा
कोई तो मेरी सायबानी करे
मुझको अक्सर ये हुआ है महसूस
कोई कुछ पूछ रहा हो जैसे
हो रहा है अगर जुदा मुझसे
मेरी आँखों पे उँगलियाँ रख जा
फल दरख़्तों से तोड़ लो ख़ुद ही
जाने कब आयें आँधियाँ यारो
बड़ा बेशक़ीमत है सच बोलना
मेरे सर पे लाखों का इनआम है
अगर रहगुज़र ये नहीं है तो फिर
यहाँ इन दरख़्तों का क्या काम है
वो सिरफिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे
मैं आख़िरी चिराग़ था जलना पड़ा मुझे
मुझमें किस दरजा पुरानापन है
तुझको छू लूँ तो नया हो जाऊँ
मैं पहली बार उस से सच कहूँगा
ख़ुदा जाने उसे कैसा लगेगा
खौफ़ तनहाई घुटन सन्नाटा
क्या नहीं मुझमें जो बाहर देखूँ
क्या ख़रीदोगे चार आने में
अक़्लमंदी है घर न जाने में
तबसरा कर रहे हैं दुनिया पर
चन्द बच्चे शराबखाने में
उस के घर में तो ख़ुद अँधेरा है
वो किसी को चिराग़ क्या देगा
कोई तो मेरी सायबानी करे
मुझको अक्सर ये हुआ है महसूस
कोई कुछ पूछ रहा हो जैसे
हो रहा है अगर जुदा मुझसे
मेरी आँखों पे उँगलियाँ रख जा
फल दरख़्तों से तोड़ लो ख़ुद ही
जाने कब आयें आँधियाँ यारो
बड़ा बेशक़ीमत है सच बोलना
मेरे सर पे लाखों का इनआम है
अगर रहगुज़र ये नहीं है तो फिर
यहाँ इन दरख़्तों का क्या काम है
वो सिरफिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे
मैं आख़िरी चिराग़ था जलना पड़ा मुझे
मुझमें किस दरजा पुरानापन है
तुझको छू लूँ तो नया हो जाऊँ
मैं पहली बार उस से सच कहूँगा
ख़ुदा जाने उसे कैसा लगेगा
खौफ़ तनहाई घुटन सन्नाटा
क्या नहीं मुझमें जो बाहर देखूँ
क्या ख़रीदोगे चार आने में
अक़्लमंदी है घर न जाने में
तबसरा कर रहे हैं दुनिया पर
चन्द बच्चे शराबखाने में
उस के घर में तो ख़ुद अँधेरा है
वो किसी को चिराग़ क्या देगा
:- अमीर कज़लबाश
[लफ़्ज़ से साभार]
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 30/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएं६४ वें गणतंत्र दिवस पर शुभकानाएं और बधाइयाँ.
उम्दा प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई...६४वें गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbehatareen behatraeen
जवाब देंहटाएं