पानी में पानी नहीं , नहीं अन्न में अन्न
मन्न मन्न जोरौ तऊ, देह न लागौ कन्न १
मोहि न भावै लीक कछु, मोहि नहीं आधार
मैं मेरी मंजिल भयौ, मैं मेरौ निरधार २
स्यार लोमड़ी जुरि गए, गीदड़ मारें डींग
कवि 'विराट' ऊगन लगे , खरगोसन कै सींग ३
तीन दिए, तेरह गिने, लिखे तिरासी नाम
बड़े जोर सौं ह्वै रहे, राहत काम तमाम ४
भौजी कें लल्ला भयौ, नौमों, नंदकिशोर
भैया कालू राम के, टूटन लागे जोर ५
राम चरन कौ भानजौ, लायौ चीज़ चुराय
अम्मा आँखन में रिसै, आँचर लेय दुराय ६
रम्मा कौ छोरा भयौ, ऐसौ बी. ए. पास
दाँत भींच कै खेत की, दिनभर काटै घास ७
करै दुबइ में नौकरी, दुलहन बड़ी उदास
गोनौ करि कें भजि गए, लाला लछमन दास ८
फिर मेघा बरसन लगे, नद-नारे गहरान
बाढ़ पहारन पै चढ़ी, हलकन लागे प्रान ९
सास बहू कौं संग लै, गई ठकुर के द्वार
किरपा, मालिक नें करी, करि कें बंद किबार १०
रामबहोरी नें कियौ, ऐसौ कन्यादान
छोरी बारह बर्स की , साठ बरस कौ ज्वान ११
हरित-हँसी में दुरि रही, रक्त-रंग सौगात
हम, बँगला की हद्द पे, हैं मेंहदी के पात १२
डा. विष्णु विराट
इन दोहों को उपलब्ध करवाने के लिये शेखर चतुर्वेदी का सहृदय आभार
मन्न मन्न जोरौ तऊ, देह न लागौ कन्न १
मोहि न भावै लीक कछु, मोहि नहीं आधार
मैं मेरी मंजिल भयौ, मैं मेरौ निरधार २
स्यार लोमड़ी जुरि गए, गीदड़ मारें डींग
कवि 'विराट' ऊगन लगे , खरगोसन कै सींग ३
तीन दिए, तेरह गिने, लिखे तिरासी नाम
बड़े जोर सौं ह्वै रहे, राहत काम तमाम ४
भौजी कें लल्ला भयौ, नौमों, नंदकिशोर
भैया कालू राम के, टूटन लागे जोर ५
राम चरन कौ भानजौ, लायौ चीज़ चुराय
अम्मा आँखन में रिसै, आँचर लेय दुराय ६
रम्मा कौ छोरा भयौ, ऐसौ बी. ए. पास
दाँत भींच कै खेत की, दिनभर काटै घास ७
करै दुबइ में नौकरी, दुलहन बड़ी उदास
गोनौ करि कें भजि गए, लाला लछमन दास ८
फिर मेघा बरसन लगे, नद-नारे गहरान
बाढ़ पहारन पै चढ़ी, हलकन लागे प्रान ९
सास बहू कौं संग लै, गई ठकुर के द्वार
किरपा, मालिक नें करी, करि कें बंद किबार १०
रामबहोरी नें कियौ, ऐसौ कन्यादान
छोरी बारह बर्स की , साठ बरस कौ ज्वान ११
हरित-हँसी में दुरि रही, रक्त-रंग सौगात
हम, बँगला की हद्द पे, हैं मेंहदी के पात १२
डा. विष्णु विराट
इन दोहों को उपलब्ध करवाने के लिये शेखर चतुर्वेदी का सहृदय आभार
दमदार दोहे..
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब! वाह!
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी देखें-
नाहक़ ही प्यार आया
आज 06-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं.... आज की वार्ता में ... उधार की ज़िंदगी ...... फिर एक चौराहा ...........ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
समाज पर प्रहार करते दोहे
जवाब देंहटाएंयथार्थ को उकेरते सशक्त सटीक धारदार दोहे ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंसत्य ... ! अच्छे दोहे , आभार
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