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8 अगस्त 2011

वो "राखी सरताज", बीस बहना हों जिस के


rakhi


बहना की दादागिरी, भैया की मनुहार|
ये सब ले कर आ रहा, राखी का त्यौहार||
राखी का त्यौहार, यार क्या कहने इस के|
वो "राखी सरताज", बीस बहना$ हों जिस के|
ठूँस-ठूँस तिरकोन*, मिठाई खाते रहना|
फिर से आई याद, हमें राखी औ बहना||

सबसे पूर्व सगी-बड़ी, बहना का अधिकार|
उस के पीछे साब जी, लाइन लगे अपार||
लाइन लगे अपार, तिलक लगवाते जाओ|
गिन गिन के फिर नोट, तुरंत थमाते जाओ| 
मॉडर्न डिवलपमेंट, हुआ भारत में जब से|
ये अनुपम आनंद, छिन गया, तब से, सब से|| @



*मथुरा में समोसे को तिरकोन कहा जाता है [त्रिकोण जैसा दिखने के कारण]

$ अपनी बहन, चाची, काकी, भुआ, मौसी और मामियों की लड़कियां मिला कर
बीस बहनें भी होती थीं किसी किसी के| और भुआयें अलग से - बोनस में|

@ सुख भरी यादों के बीच दुखांत तो है, पर समय की सच्चाई भी यही है

छन्द - कुण्डलिया 

17 टिप्‍पणियां:

  1. त्यौहार के बदलते मायने पर पारंपरिक छंद विधा में रचना अच्छी लगी.. पवन पर्व रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामना...

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  2. अब तो एक बहन भी मुश्किल से मिलती है ..अच्छी रचना

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. रचना अच्छी लगी पर यह तो लिखा ही नहीं कि इसमे कौनसा प्रयोग है |
    आशा

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  5. पुराना आनन्द त्योहारों का, कहाँ चला गया?

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  6. परिस्थितियों की मार कि एक बहन दक्षिण भारत में है तो दूसरी उत्तर में। और हम पूर्व भारत में। पता नहीं किसी से मिलना हो पाता है या नहीं।

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  7. दादागिरी शब्द का प्रयोग आपने किया है तो ... सोच कर ही किया होगा। पता नहीं क्यों इस संदर्भ में

    कुछ ये विचार मन में आ रहे हैं

    कि बंगाल में भाई को दादा कहते हैं तो उसके लिए ही दादागिरी उचित प्रतीत होता है। जब संदर्भ दीदी का है तो क्यॊं न आप दीदीगिरी शब्द का ईज़ाद कर कर देते हैं।

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  8. आद. मनोज जी आप का प्रस्ताव अच्छा है :)

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  9. सुन्दर सामयिक प्रस्तुति ....
    बढ़िया कुण्डलियाँ ........

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  10. छंद महोत्सव में भी पढी यह कुण्डलिया...
    बहुत बढ़िया नवीन भईया...
    सादर...

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  11. बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...यादों को बहुत पीछे ले गयी..

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  12. दोनों ही कुंडलियाँ मन को भा गईं नवीन जी, इस पावन पर्व पर इन कुंडलियों के लिए बधाइ स्वीकार कीजिए।

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  13. बीते हुए दिनों की याद दिलाती हुई पोस्ट अच्छी लगी बधाई

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  14. मौके के अनुसार लिखना आसान नहीं ... पर आपके सामने कुछ मुश्किल भी तो नहीं नवीन जी ... मनभावन कुंडलियाँ ...

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  15. .


    नवीन जी ,

    सुंदर कुंडलियों के लिए बधाई !



    रक्षाबंधन की शुभकामनाएं !

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