25 अक्तूबर 2010

करवा चौथ

बदलता संसार
बदलता व्यवहार
बदलते सरोकार
बदलते संस्कार
बदलते लोग
बदलते योग
बदलते समीकरण
बदलते अनुकरण

बदलता सब कुछ
पर नहीं बदलता
नारी का सुहाग के प्रति समर्पण
साल दर साल निभाती है वो रिवाज
जिसे करवा चौथ के नाम से
जानता है सारा समाज

इस बाबत
बहुत कुछ शब्दों में
बहुत कुछ कहने से अच्छा होगा
हम समझें - स्वीकारें
उस के अस्तित्व को
उस के नारित्व को
उस के खुद के सरोकारों को
उस के गिर्द घिरी दीवारों को

जिस के बिना
इस दुनिया की कल्पना ही व्यर्थ है
दे कर भी
क्या देंगे
हम उसे

हे ईश्वर हमें इतना तो समर्थ कर
कि हम
दे सकें
उसे
उस के हिस्से की ज़मीन
उस के हिस्से की अनुभूतियाँ
उस के हिस्से की साँसें
उस के हिस्से की सोच
उस के हिस्से की अभिव्यक्ति
आसक्ति से कहीं आगे बढ़ कर......................

9 टिप्‍पणियां:

  1. kisi ko uske hisse ki zamin...
    uske hisse ki anubhutiyan... uske hisse ka aasmaan dene ki pavitra chaah anukarniya aur prashansniya hai!aise hi shubh vichar sabke hriday mein hon...!
    sundar rachna!

    जवाब देंहटाएं
  2. हे ईश्वर हमें इतना तो समर्थ कर
    कि हम
    दे सकें
    उसे
    उस के हिस्से की ज़मीन
    उस के हिस्से की अनुभूतियाँ
    उस के हिस्से की साँसें
    उस के हिस्से की सोच
    उस के हिस्से की अभिव्यक्ति
    आसक्ति से कहीं आगे बढ़ कर......................
    bahut sundar hai .. padhkar achchha laga .

    जवाब देंहटाएं
  3. ये आपके व्यक्तिगत बिचार हैं..सुन्दर लिखा है, नवीन भाई.

    जवाब देंहटाएं
  4. bahut sundar hai aapki kavita aur us par aapke vichaar... karvachauth par aapsabhi ko hardik shubhkamnaayen...

    Navin ji ..maine bhi aaj karva chauth par aik kahani likhi hai .. aik aap biti.. padhiyega... Shanno ji aap bhi..shanno ji ko yaha dekh akr khushi huvi..

    mera link hai..

    http://amritras.blogspot.com/2010/10/dr-nutan-gairola_25.html

    जवाब देंहटाएं
  5. धन्यवाद देवमणि जी आपकी टिप्पणी और स्नेह भरी चुटकी के लिए|

    जवाब देंहटाएं