धरा धीर सूरज निकरबइ करे
दुखे कइ ई रतिया गुजरबइ करे
हँसत फूल ई मुरझुराये कबउ
जे पइदा भवा बा ऊ मरबइ करे
ऊ नेता बना बा त पक्का अहइ
उ वादा से अपने मुकरबइ करे
तू झूठइ त चोरी लगावत अहा
गलत बाति कहब्या अखरबइ करे
खुद अपनइ ऊ तारीफ झोंके अहइ
जे हलुकार बाटइ उछरबइ करे
बढ़त रहब्या आगे त मंजिल मिले
समुन्दर म नदिया उतरबइ करे
लफंगन के साथे म बिगड़ा बा ऊ
मिले नीक संगति सुधरबइ करे

बेहतरीन , अवधी ग़ज़ल, वाह वाह वाह
जवाब देंहटाएंBahut sunder rachana
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