वंदन शुभ अभिवन्दन - रमेश कँवल

 हमारे यहाँ बहुत पहले से गणपति, सरस्वती और गुरुवन्दन की परिपाटी रही है . किसी भी कवि गोष्ठी या कवि सम्मलेन का श्रीगणेश विधिवत दीप प्रज्ज्वलित करने के उपरान्त माँ शारदे की वन्दना के साथ होता रहा है. किसी भी कवि की प्रथम परीक्षा यही मानी जाती थी कि उसने माँ शारदे की वन्दना में

ज़मीं को नाप चुका आसमान बाक़ी है - पवन कुमार

ज़मीं को नाप चुका आसमान बाक़ी है

अभी परिन्दे के अन्दर उड़ान बाक़ी है

सबब पूछो न क्यों हैरतज़दा हूँ - शेषधर तिवारी


सबब पूछो न क्यों हैरतज़दा हूँ

मैं अपनी चीख सुनकर डर गया हूँ

जब भी कोई अपनों में दिल का राज़ खोलेगा - ज़ाहिद अबरोल

जब भी कोई अपनों में दिल का राज़ खोलेगा

आँसुओं को समझेगा आँसुओं से बोलेगा

शैख़ साहिब! शराब पी लीजै - विजय ‘अरुण’

 
शैख़ साहिब! शराब पी लीजै

मेरे आली जनाब पी लीजै

रोक नहीं फ़रमाने दे - रवि खण्डेलवाल



रोक नहीं फ़रमाने दे

मन की बात बताने दे

कोई बदलाव की सूरत नहीं थी - सचिन अग्रवाल

 

कोई बदलाव की सूरत नहीं थी

बुतों के पास भी फ़ुर्सत नहीं थी