शब्-ए-विसाल है
गुल कर दो इन चरागों को
ख़ुशी की बज़्म में
क्या काम जलनें वालों का !
- मोमिन खाँ मोमिन
मैंने इस डर से
लगायें नहीं ख़्वाबो के दरख़्त
कौन जंगल में उगेँ
पेड़ को पानी देगा !
- दाराब बानो वफ़ा
रतजगे, ख्वाब-ए-परीशाँ
से कहीं बेहतर है,
लरज़ उठता हूँ अगर
आँख ज़रा लगती है ।
- अहमद फ़राज़
कितनी मासूम सी
तमन्ना है...
नाम अपना तेरी
ज़बां से सुनूँ...
- शहरयार
जिस ख़त पे ये लगाई
उसी का मिला जवाब ...
इक मोहर मेरे पास
है दुश्मन के नाम की...
- दाग दहेलवी
सोचो तो सिलवटों
से भरी है तमाम रूह
देखो तो इक शिकन
भी नहीं है लिबास में
- शकेब जलाली
काबे जाने से नहीं
कुछ शेख़ मुझको इतना शौक़
चाल वो बतला कि
मैं दिल में किसी के घर करूँ
- मीर तक़ी 'मीर
रात तो वक़्त की
पाबंद है ढल जाएगी
देखना ये है
चराग़ों का सफ़र कितना है
- वसीम बरेलवी
फ़िक्र यह थी के
शब् ए हिज्र कटेगी क्यूँ कर,
लुत्फ़ यह है के
हमें याद न आया कोई
- नासिर काज़मी
भूले है
रफ़्ता-रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
किश्तों में
ख़ुदकुशी का मज़ा हमसे पूछिए
- खुमार बाराबंकवी
खिलोने पा लिये
मैंने लेकिन,
मेरे अंदर का
बच्चा मर रहा है।
- परवीन शाकिर
नई सुब्ह पर नज़र
है मगर आह ये भी डर है
ये सहर भी
रफ़्ता-रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे
- शकील बदायूनी
ना जाने शाख से कब
टूट जाये
वो फूलों कि तरह
हँसता बहुत है
- नुसरत बद्र
हर शख्स़ दौड़ता है
यहाँ भीड़ की तरफ
फिर यह भी चाहता
है, उसे रास्ता मिले
- वसीम बरेलवी
किसी को जब मिला
कीजे सदा हँस कर मिला कीजे
उदास आँखों को
अक्सर लोग जल्दी भूल जाते हैं
- ए.एफ.'नज़र'
हर वफ़ा एक जुर्म
हो गोया
दोस्त कुछ ऐसी
बेरुख़ी से मिले
- सुदर्शन फ़ाकिर
# हिरेन पोपट
9824203330
Nice selection
जवाब देंहटाएंلاجواب شعير
जवाब देंहटाएंوااااه بہت خوبصورت جواب نہي
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पसंद
जवाब देंहटाएंसभी शे'र बेहद अच्छे हैं.