काँटा
मिले बबूल का,
या गूलर का फूल ||
सागर
से रखती नहीं,
सीपी कोई आस |
एक
स्वाति की बूँद से,
बुझ जाती है प्यास ||
गिरा
हुआ आकाश से,
सम्भव है उठ जाय |
नजरों
से गिर जाये जो,
उसको कौन उठाय ||
सूरज
बोला चाँद से,
कभी किया है ग़ौर |
तेरा
जलना और है,
मेरा जलना और ||
प्यासे
के जब आ गयी,
अधरों पर मुस्कान |
पानी-पानी
हो गया,
सारा रेगिस्तान ||
रातों
को दिन कह रहा,
दिन को कहता रात |
जितना
ऊँचा आदमी,
उतनी नीची बात ||
जब
तक अच्छा भाग्य है,
ढके हुये हैं पाप |
भेद
खुला - हो जायेंगे,
पल में नङ्गे आप ||
बहुदा
छोटी वस्तु भी,
सण्कट का हल होय |
डूबन
हारे के लिये,
तिनका सम्बल होय ||
ढाई
आखर छोड़ जब,
पढ़ते रहे किताब |
मन
में उठे सवाल का,
कैसे मिले जवाब ||
तुम्हें
मुबारक हो महल,
तुम्हें मुबारक ताज |
हम
फ़क़ीर हैं ‘क़म्बरी’,
करें दिलों पर राज ||
:- अन्सर क़म्बरी
9450938629
9450938629
बहुत अच्छे दोहे हैं। बधाई क़म्बरी जी को
जवाब देंहटाएंक्या कहने एक से बढकर एक दोहा । मजा आ गया इतने अच्छे दोहे बहुत दिन बाद पढे । बहुत अच्छा लगा कम्बरी साहब कुछ दोहे तो बस गजब जैसे
जवाब देंहटाएंसूरज बोला चाँद से,कभी किया है ग़ौर|
तेरा जलना और है,मेरा जलना और||
प्यासे के जब आ गयी,अधरों पर मुस्कान|
पानी-पानी हो गया,सारा रेगिस्तान||