अक्सर ऐसा हुआ है
बहुत कोशिशों के बाद
जब उसे मैं छू न सका
सो गया मूँद कर आँखें अपनी
बहुत देर तक फिर सोया रहा
महसूस करता रहा उसके हाथ की नरमी
छू लिया हल्के से उसके रुखसार को
उड़ता रहा खुले आसमान में
थामे रहा उसका हाथ
चुपके से सहलाता रहा उसके बाल
पर हर बार
जब भी मेरी आँख खुली
अचानक सब कुछ दूर
बहुत दूर हो गया
क्या वो सिर्फ़ एक एहसास था...................
एहसास जिसे महसूस तो किया जा सकता है
पर जागती आँखों से छुआ नही जा सकता
जागती आँखों से छुआ नहीं जाता
बहुत कोशिशों के बाद
जब उसे मैं छू न सका
सो गया मूँद कर आँखें अपनी
बहुत देर तक फिर सोया रहा
महसूस करता रहा उसके हाथ की नरमी
छू लिया हल्के से उसके रुखसार को
उड़ता रहा खुले आसमान में
थामे रहा उसका हाथ
चुपके से सहलाता रहा उसके बाल
पर हर बार
जब भी मेरी आँख खुली
अचानक सब कुछ दूर
बहुत दूर हो गया
क्या वो सिर्फ़ एक एहसास था...................
एहसास जिसे महसूस तो किया जा सकता है
पर जागती आँखों से छुआ नही जा सकता
जागती आँखों से छुआ नहीं जाता
आपने लिखा....
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 04/09/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी. आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
बहुत खूब नवीन जी ... आपने इस रचना में चार चाँद लगा दिए ... कविता के मर्म को ढूंढ निकाला जो आप जैसा पारखी ही कर सकता है ...
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार इसे साझा करने के लिए ...
बहुत सुन्दर कविता . नवीन भाई के ब्लॉग पर देख और भी प्रसन्नता हुई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : फूल बिछा न सको
सारे एहसासों कों शब्द नही दें सकते हैं हम इंसान |बहुत ही खूबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट-“जिम्मेदारियाँ..................... हैं ! तेरी मेहरबानियाँ....."
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंनवीन जी सुन्दर एहसास ,बहुत खुबसूरत भाव
latest post देश किधर जा रहा है ?
वाह! क्या सुन्दर और कोमल भावनायें हैं ,वाह!
जवाब देंहटाएंअहसासों को अहसास करने के खुबसूरत अहसास ...
जवाब देंहटाएंआभार!