21 जून 2013

SP/2/2/3 मौन साधतीं चूड़ियाँ..बिंदिया गिर गिर जाय - आदिक भारती


नमस्कार 

आयोजन के तीसरे दौर में हम पढ़ेंगे इस मंच के बयालीसवें [42] सहभागी श्री आदिक भारती साहब को। पेशे से डॉक्टर सोनीपत निवासी आदिक साहब इस से पहले वातायन की शोभा भी बढ़ा चुके हैं। ग़ज़ल और छन्द दौनों विधाओं में सिद्ध-हस्त आदिक साहब हिन्दी शब्दों से सुसज्जित ग़ज़लें [जी हाँ ग़ज़लें, गजलें नहीं] भी पेश कर चुके हैं। इस के अलावा आदिक साहब का मुझ से एक परिचय और भी है, आप मेरे गुरु भाई विकास शर्मा राज़ के शुरुआती दौर के उस्ताज़ भी रह चुके हैं।

मुशायरों तथा कवि-सम्मेलनों की यात्राओं में व्यस्त आदिक साहब ने हमारे निवेदन पर समस्या-पूर्ति के वर्तमान आयोजन के लिये दोहे भेजे हैं, आइये पढ़ते हैं आदिक साहब के दोहे :- 

दामन थामे सब्र का, बैठे हैं हम मौन
दिल से आख़िर उम्र-भर, खेल सका है कौन

लू में जले वियोग की, दो मानस दो गात
चाँद ग़ज़ल गाता रहा, छत पर सारी रात
गात - शरीर

विरह पीर परदेस में, जब प्रीतम मन छाय
मौन साधतीं चूड़ियाँ, बिंदिया गिर गिर जाय

देख किसी को कष्ट में, आँखें लेते मूँद
मानव के मस्तिष्क को, लगने लगी फफूँद

उम्र ढली तो तन-बदन, कजला गये ज़रूर
दिल है यूँ रौशन मगर, जैसे कोहेनूर

 
लू में जले वियोग की, दो मानस दो गात......... मौन साधतीं चूड़ियाँ, बिंदिया गिर-गिर जाय................. मानव के मस्तिष्क को, जैसे लगे फफूँद........... क्या बात है आदिक साहब क्या बात है, माहौल बना दिया आप ने, बहुत ख़ूब। जिस तरह जब कोई कवि शायरी करता है तो उस की शायरी में माटी की सौंधास स्पष्ट रूप से महसूस की जा सकती है, उसी तरह जब कोई शायरी करने वाला दोहा टाइप छन्द लिखता है तो उन दोहों में नज़ाकत आ ही जाती है, आदिक साहब का "चाँद ग़ज़ल गाता रहा" वाला दोहा इस बात की तसदीक़ करता है।

दोस्तो आप इन दोहों का आनन्द लीजिये, आदिक साहब को अपने सुविचारों से अवगत कराइये और मैं बढ़ता हूँ अगली पोस्ट की तरफ़। 

इस आयोजन की घोषणा सम्बन्धित पोस्ट पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें
आप के दोहे navincchaturvedi@gmail.com पर भेजने की कृपा करें  

30 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सोंधे दोहे आये है भाई साब !! आयोजन को माहौल बनता चला जा रहा है >.................

    जवाब देंहटाएं
  2. आदिक साहब के दोहों ने मन मोह लिया , ख्यालों के ताज़े पन से भाव विभोर हो गए हम तो ..."चाँद ग़ज़ल गाता रहा ..." और " लगने लगी फफूंद " तो बस कमाल हैं कमाल . ऐसे लाजवाब दोहे पढवाने के लिए और ऐसे अनूठे आयोजन के लिए नवीन जी आपकी जितनी प्रशंशा की जाय कम है .

    दोहों पर श्याम भाई की समीक्षा सच्ची और सटीक है। ऐसे पाठकों का जी खोल कर स्वागत करना चाहिए जो रचनाओं को पूरे दिल से पढ़ते हैं और अपनी बात बिना लाग लपेट के रख पाते हैं, ऐसे पाठक बिरले ही होते हैं , आपके ब्लॉग पर ऐसे पाठक हैं देख कर बहुत अच्छा लगा .

    अगर आदिक साहब की ग़ज़लों की किताब के बारे कोई सूचना प्रेषित कर सकें तो अनुकम्पा होगी।

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  3. .सभी दोहे सुन्दर बन पड़े हैं .आदिक साहब को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर दोहे हैं। बहुत बहुत बधाई आदिक साहब को

    जवाब देंहटाएं
  5. LAGNE LAGI FAFOOND ...JINDABAD AAJ KE MANAS KI SOOCH KO UJAAGAR KARTI HAI...BAKI DOOHE BHI KAMAAL HAIN AAP KO PRNAAM

    जवाब देंहटाएं
  6. देख किसी को कष्ट में, आँखें लेते मूँद
    मानव के मस्तिष्क को, लगने लगी फफूँद

    सुंदर दोहों के लिए आदिक भारती जी को सादर बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय आदिक भारती जी के दोहों ने हमें नि:शब्द कर दिया, किन्तु कलम कोकिला कूक उठी.......

    दामन थामे सब्र का,बैठे हैं हम मौन
    दिल से आख़िर उम्र-भर,खेल सका है कौन

    बैठक के सौंदर्य को,आँक रहा रह मौन
    जिसकी देहरी सज रहा,चौखट पट सागौन

    लू में जले वियोग की, दो मानस दो गात
    चाँद ग़ज़ल गाता रहा, छत पर सारी रात

    नौटप्पे के बाद ही ,आती है बरसात
    उठती सोंधी-सी महक,पुलकित होते गात

    विरह पीर परदेस में, जब प्रीतम मन छाय
    मौन साधतीं चूड़ियाँ, बिंदिया गिर गिर जाय

    मौन हो गई चूड़ियाँ,बिंदिया भी चुपचाप
    पीर गज़ल गाती रही,धड़कन देती थाप

    देख किसी को कष्ट में, आँखें लेते मूँद
    मानव के मस्तिष्क को, लगने लगी फफूँद

    निर्लज निर्जल नैन से,उड़ी नेह की बूँद
    संस्कार को खा गई,ऐसी उगी फफूँद

    उम्र ढली तो तन-बदन, कजला गये ज़रूर
    दिल है यूँ रौशन मगर, जैसे कोहेनूर

    दिन ढलते ही साँझ का,दमक उठा सिंदूर
    सूर्य निभाने आ गये,उल्फत का दस्तूर

    जवाब देंहटाएं
  8. दिल में सीधे घुसते हैं सभी दोहे ...
    सादिक साहब के इन दोहों ने बाँध लिया मन को ... लाजवाब ...

    जवाब देंहटाएं
  9. दोहा छंदों पर सुगढ़ प्रयास हुआ है.
    शुभम्

    जवाब देंहटाएं
  10. देख किसी को कष्ट में, आँखें लेते मूँद
    मानव के मस्तिष्क को, लगने लगी फफूँद
    बहुत सही व सीधे सन्देश देते दोहे

    जवाब देंहटाएं
  11. शेखर चतुर्वेदी जी
    दोहों की प्रशंसा के लिए हृदय से आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. श्याम गुप्ता जी
    समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए तथा
    दोहों की प्रशंसा के लिए हृदय से आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  13. नीरज गोस्वामी जी
    दोहे आपको पसंद आये ..हृदय से आपका धन्यवाद
    प्रशंसा के लिए आभारी हूँ
    समीक्षा तो कवि के लिए अत्यंत आवश्यक एवं
    हौसला अफ्ज़ा होती है और मार्गदर्शक भी

    जवाब देंहटाएं
  14. शिखा कौशिक जी
    दोहे आपको पसंद आये ..हृदय से आपका धन्यवाद
    प्रशंसा के लिए आभारी हूँ

    जवाब देंहटाएं
  15. Ashok Khachar ji
    प्रशंसा के लिए हृदय की असीम गहराइयों से आभार

    जवाब देंहटाएं
  16. सज्जन धर्मेन्द्र जी
    दोहे आपको अच्छे लगे
    प्रशंसा के लिए तहेदिल से आपका शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  17. yashoda agrawal ji
    dohon ko auron tak pahunchane ke liye ,,aur prashansa ke liye hardik aabhaar

    जवाब देंहटाएं
  18. मनोज कौशिक जी
    दोहों की प्रशंसा एवं इतना आदर प्रदान करने के लिए
    आपका हृदय से आभारी हूँ.. प्रसन्न रहिये

    जवाब देंहटाएं

  19. ऋता शेखर मधु जी

    दोहों की प्रशंसा करने के लिए
    आपका हृदय से आभारी हूँ..

    जवाब देंहटाएं
  20. अरुण कुमार निगम जी
    दोहों की अनुपम प्रशंसा एवं प्रत्युतर में
    आपके अतुलित दोहों के लिए आपका अंतर्मन से हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  21. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  22. दिगंबर नासवा जी
    दोहों की तारीफ के लिए हार्दिक आभार
    और एक बात ..मेरा नाम आदिक है ..सादिक नहीं
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  23. कविता वर्मा जी
    प्रशंसा के लिए आभारी हूँ

    जवाब देंहटाएं
  24. सौरभ जी
    प्रशंसा के लिए अत्यंत आभार

    जवाब देंहटाएं
  25. dr mahendrag ji
    dohe aapko pasand aaye
    hriday se aapka dhanyvaad

    जवाब देंहटाएं
  26. नवीन चतुर्वेदी जी..
    दोहों को अपने ब्लॉग में स्थान देने के लिये
    ऐसी अद्वितीय भूमिका के साथ प्रस्तुत करने के लिये
    ऐसी सुंदर सम्मोहक प्रशंसा करने के लिये
    एवं आपकी बेलौस मुहब्बतों के लिये
    ह्रदय से आपका आभार .धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं


  27. वाऽऽह वाह !
    आनंद आ गया ...
    ग़ज़लें तो आप बेहतरीन कहते ही हैं , दोहे भी बहुत अच्छे लिखे हैं आदरणीय श्री आदिक भारती जी !
    सादर प्रणाम !
    बहुत बहुत बधाइयां और मंगलकामनाएं !

    सादर...
    शुभकामनाओं सहित
    राजेन्द्र स्वर्णकार


    जवाब देंहटाएं