नासिर काज़मी साहब की ग़ज़ल “कौन उस राह से गुजरता है” की ज़मीन पर एक
कोशिश
बात जब दिल बदन से करता है
तब कहीं आदमी सँवरता है
आब जब आग से गुजरता है
इक नई शय का नक़्श उभरता है
आब - पानी
बात सुनता नहीं हवाओं की
आब धरती पे ही उतरता है
आदमी भूलता नहीं कुछ भी
बा-ज़रूरत फ़क़त मुकरता है
अपने कल की ही फ़िक्र है सब को
कौन दुनिया में रब से डरता है
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मखबून
फाएलातुन
मुफ़ाएलुन फालुन
2122 1212 22
आपने लिखा....
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 15/05/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
हर पंक्ति दमदार..
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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