हजरत अल्ताफ़ हुसैन साहब हाली की ज़मीन “है जुस्तजू कि ख़ूब से है ख़ूबतर कहाँ” पर एक कोशिश
फ़ानी जहाँ में होनी है अपनी बसर कहाँ
पर इस से बच के जाएँ तो जाएँ किधर? कहाँ?
फ़ानी - नश्वर / नाशवान, बसर - गुजर-बसर / निर्वाह
ख़्वाबों ने हमको छोड़ा तो यादों ने धर लिया
तुम से मिले तो पायी फिर अपनी ख़बर कहाँ
हमसे कहो हो प्यार किया रस्म की तरह
उलफ़त में आप से भी हुई ना-नुकर कहाँ
उल्फ़त - प्रेम
हमने भी कैसी कैसी नज़ीरों को गढ़ दिया
शबनम कहाँ है और तेरी चश्मेतर कहाँ
नज़ीर - उदाहरण / प्रतीक, चश्मेतर - भीगी आँख [आँसू के संदर्भ
में]
बरसात पड़ रही है मगर नम नहीं ज़मीन
अब रहमतों में दिखता है वैसा असर कहाँ
:- नवीन
सी. चतुर्वेदी
बहरे मुजारे मुसमन अखरब मकफूफ़ महजूफ
मफ़ऊलु फाएलातु मुफ़ाईलु फाएलुन
221 2121 1221 212
हमने भी कैसी कैसी नज़ीरों को गढ़ दिया
जवाब देंहटाएंशबनम कहाँ है और तेरी चश्मेतर कहाँ
वाह, क्या अंदाज़ है! उम्दा ग़ज़ल