ज़िन्दा
रहने के लिये और बहाने कितने
एक तमाशे के लिये और तमाशे कितने
बाँह फैलाये वहाँ कब से खड़ा है महबूब
रूह बदलेगी बदन और न जाने कितने
आग पानी से बचाओ तो हवा की दहशत
एक तमाशे के लिये और तमाशे कितने
बाँह फैलाये वहाँ कब से खड़ा है महबूब
रूह बदलेगी बदन और न जाने कितने
आग पानी से बचाओ तो हवा की दहशत
ज़िन्दगी
अक्स बनाये तो बनाये कितने
अपनी यादों में न पाओ तो नज़र से पूछो
और होते भी हैं यारों के ठिकाने कितने
जैसे आये हैं यहाँ वैसे ही जाना होगा
अपनी यादों में न पाओ तो नज़र से पूछो
और होते भी हैं यारों के ठिकाने कितने
जैसे आये हैं यहाँ वैसे ही जाना होगा
बात
सच है ये मगर बात ये माने कितने
:- नवीन सी.
चतुर्वेदी
फ़ाएलातुन फ़एलातुन
फ़एलातुन फालुन
बहरे रमल मुसम्मन मखबून मुसक्कन
2122 1122 1122 22
बहरे रमल मुसम्मन मखबून मुसक्कन
2122 1122 1122 22
आपने लिखा....
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 031/07/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
वाह, गहरी बात, तमाशे लिपटे लपटाये घूम रहे सब।
जवाब देंहटाएंजैसे आये हैं यहाँ वैसे ही जाना होगा
जवाब देंहटाएंबात सच है ये मगर बात ये माने कितने
बहुत सुंदर शे'र !