![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg7mMBsi9oZtuWZ_TZ4u3K7NoyLNpn0nzcg9iC4Y148P6Qn8tOBnrmxVoH3HsssDEnFkiFJX0f8uho_29GXdGj0lWAOP5Aiv5x8Ff30qcHPRgXvy9c2OTOY-qI3Tf7aRtjf7Ev1-BeilUg/s200/Mehrish+C.jpg)
आर. पी. शर्मा महर्षि जी से मिले हुए क़रीब एक साल हुआ है। कुछ मित्रों को उन की कुछ पुस्तकें चाहिये थीं, इस सिलसिले में पहली बार उन के घर जाना हुआ। फिर उस के बाद उन के घर [चेंबूर] कई बार जाना हुआ। विलक्षण ऊर्जा के धनी महर्षि जी हर बार कुछ देने को उद्यत मिले। हर बार यही पूछते हैं कि और कितने आगे बढ़े? और तुरन्त कुछ अशआर सुनाने का हुक़्म देते हैं। जहाँ एक ओर मेरे कहे अशआर पर अपने अमूल्य सुझाव हालोंहाल देते हैं, तो वहीं दूसरी ओर उन को पसंद आए मेरे कुछ अशआर अपनी ख़ास डायरी में नोट भी करवा लेते हैं। हर बार किसी नये [मेरे लिये] शारदोपासक से बातें भी करवाते हैं। इस उम्र में भी देश के कोने-कोने से ख़तोक़िताबत तथा मोबाइल के ज़रिये संपर्क में रहने वाले तथा आ. देवी नागरानी जी के उस्ताज़ महर्षि जी ने देवनागरी ग़ज़ल शिल्प को के कर अब तक अनेक पुस्तकें सौंपी हैं पाठकों के हाथों में। उन की हालिया क़िताब "ग़ज़ल-सृजन" रिसेंटली ही लॉन्च हुई है। बहुत ही महत्वपूर्ण क़िताब है ये। यह बात में ग़ज़ल शिल्प के जानकार की हैसीयत से नहीं वरन एक ज्ञानपिपासु की हैसीयत से कह रहा हूँ।
![]() |
ग़ज़ल शिल्पी आर. पी. शर्मा महर्षि |
मैंने उन की पहले की क़िताबों से क़ाफ़ी कुछ सीखा है, और ये क़िताब भी मेरे इल्म में बढ़ोतरी ही करेगी। क़िताब की क़ीमत [Rs.150/-] एक फिल्म की टिकट से भी कम है और महर्षि जी को 0 93 21 54 51 79 पर फोन कर के वीपीपी के ज़रिये भी मँगवाई जा सकती है। इस क़िताब और इस क़िताब की अहमियत का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि कुछ व्यक्तियों ने 25-50 प्रतियाँ भी ली हैं ताकि अधिक से अधिक लोगों तक ये उजाला पहुँच सके। एक सज्जन, जिन्होंने अपना नाम लिखने को ज़ोर दे कर मना किया है, उन्होंने 50 क़िताबें ले कर अपने क़रीबियों तक पहुँचाई हैं। आप लोगों को शायद ये जान कर हैरत हो कि महर्षि जी की पहले की प्रकाशित पुस्तकें यदा-कदा xerox हो-हो कर लोगों तक पहुँच रही हैं।
विवेचित पुस्तक में ग़ज़ल के बाहरी और आंतरिक स्वरूप, क़ाफ़िया, रदीफ़, कथ्य एवं शिल्प तथा ग़ज़ल की अन्य बारीकियों की विस्तार से चर्चा की गई है, तथा पर्याप्त संख्या में प्रचलित बहरों के अंतर्गत तख़्ती के उदाहरण दिये गए हैं। इस के अतिरिक्त इस पुस्तक में अन्य काव्य विधाओं, रुबाई, महिया, महिया-ग़ज़ल, तज़मीन, दोहा, जनक छंद तथा ग़ज़लों के लिए उपयुक्त छंदों और ग़ज़ल से संबन्धित प्रचुर सुरुचिपूर्ण सामाग्री का भी समावेश है।
मुझे खुशी होगी यदि आप लोग कम से कम महर्षि जी को इस महतकर्म के लिए उन के मोबाइल पर बधाई दें।
श्री आर॰ पी॰ शर्मा ,
Flat. 402, Plot 11 A, Shri Ramniwas Society,
Peston Sagar Road, No:3,
Ghatkopar Mahul Road,
Chembur, Mumai 400089.
Phone: 9321545179
महर्षी जी को हार्दिक बधाई इस महती कार्य के लिए |
जवाब देंहटाएंआशा
निश्चय ही उपयोगी पुस्तक होगी, गजल प्रेमियों के लिये।
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - लीजिये पेश है एक फटफटिया ब्लॉग बुलेटिन
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए बहुत शुक्रिया आपका..
जवाब देंहटाएंसादर.
आ. महर्षि के सानिध्य में ग़ज़ल पढने का सौभाग्य मुझे भी मिल चूका है...आपने जो उनके लिए कहा है वो अक्षरशः सत्य है...ऐसी विभूति को मैं बारम्बार नमन करता हूँ...उनकी ये किताब जल्द ही मेरे पास होगी...
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत अच्छी प्रस्तुति,....जानकारी के लिए आभार,....
जवाब देंहटाएंRECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
उम्दा रचना... आभार और बधाई
जवाब देंहटाएंइसे भी देखें-
http://cbmghafil.blogspot.in/2012/05/blog-post_06.html
उम्दा रचना... आभार और बधाई
जवाब देंहटाएंइसे भी देखें-
http://cbmghafil.blogspot.in/2012/05/blog-post_06.html
वह पृष्ठ कहाँ गया जिसका लिंक हमने लगाया है!
जवाब देंहटाएंघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
Phone/Fax: 05943-250207,
Mobiles: 09456383898, 09808136060,
09368499921, 09997996437, 07417619828
Website - http://uchcharan.blogspot.com/
जानकारी उपयोगी है..महर्षि जी को हार्दिक बधाई और आपको सादर धन्यवाद इस उपयोगी जानकारी के लिए |
जवाब देंहटाएंगजल प्रेमियों के लिये निश्चय ही उपयोगी पुस्तक होगी...महर्षी जी को हार्दिक बधाई...
जवाब देंहटाएंपुस्तक निस्संदेह एक अनिवार्य धरोहर होगी..पता दें..
जवाब देंहटाएंअच्छा पुस्तक परिचय।
जवाब देंहटाएंनवीन जी, जानकारी के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद ..और श्रध्येय महर्षि जी को प्रणाम |
जवाब देंहटाएं