चायनीज बनते नहीं, चायनीज जब खायँ।
फिर इंगलिश के मोह में, क्यूँ फ़िरंग बन जायँ।१।
क्यूँ छोडें पहिचान को, रहे छाँव या धूप।
चिंटू की माँ ने कहा, सुनिए टेसू राम।
ब्लोगिंग-फ्लोगिंग के सिवा, नहीं और क्या काम।३।
हर दम चिपके ही रहो, लेपटोप के संग।
फिर ना कहना जब सजन, दिल पे चलें भुजंग।४।
तमस तलाशें तामसी, खुशियाँ खोजें ख्वाब।
दरे दर्द दिलदार ही, सही कहा ना साब।५।
सार्थक सीख..
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग-फ्लोगिंग के सिवा,
जवाब देंहटाएंनहीं और क्या काम ||
सार्थक, सही कहा||
बहुत सार्थक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति आलंकारिक और गेयता से संसिक्त सांगीतिक अंदाज़ लिए अनुप्रयासिक छटा लिए .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति आलंकारिक और गेयता से संसिक्त सांगीतिक अंदाज़ लिए अनुप्रयासिक छटा लिए .
जवाब देंहटाएंतमस तलाशें तामसी, खुशियाँ खोजें ख्वाब।
दरे दर्द दिलदार ही, सही कहा ना साब।५।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
SUNDAR PRASTUTI KE LIYE AAPKO BADHAAEE .
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत दोहे !! typical Navin C Chaturvedi brand !!! समसामयिक जीवन प्रवृत्तियों पर चुटीली अभिव्यक्तियाँ --दोहों का कसाव दर्शनीय है !! 1ला और 3सरा परर्फेक्ट लगे-- दो दोहे इस पोस्ट समर्पित ---
जवाब देंहटाएंओबामा !! न्यूयार्क मा सबसे बचिये धाय
ना जाने कहीं भेस मा ओसामा मिलि जाय
क्यूँ छोडें पहिचान को, रहे छाँव या धूप।
फेयर ऐण्ड लवली बिना अपना रूप अनूप
sundar dohe...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत दोहे
जवाब देंहटाएंनवीन भाई पहले चार दोहे आप के स्तर के नहीं हैं। आखिरी दोहा लगता है कि आपका है उसमें भी आखिरी चरण में अभी गुंजाइश है।
जवाब देंहटाएंक्यूँ छोडें पहिचान को, रहे छाँव या धूप।
जवाब देंहटाएंअपने रँग में रँग रहे, उस का रंग अनूप।२।
बहुत सही!
@ धर्मेन्द्र भाई
जवाब देंहटाएंयदि एक पाठक की हैसियत से मैं कह सकता हूँ 'बड़े शायर का भी हर इक क़ता आला नहीं होता', तो उसी तरह मेरी रचनाओं को पढ़ने वाले पाठकों को भी अपनी बात कहने का पूरा पूरा हक़ है। कोई भी पाठक बिलकुल कह सकता है कि अमुक कहानी, अमुक कविता या छंद / ग़ज़ल उस की उम्मीद से ग़लत या थोड़ा उन्नीस रहा। मैं आप के विचारों का स्वागत करता हूँ, और कोशिश करूंगा कि आप के मंतव्य को समझ कर ज़रूरी तब्दीलियाँ ला सकूँ।
अंतिम दोहे के अंतिम चरण हेतु कुछ सुझाव देने हेतु निवेदन
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 16-- 11 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज ...संभावनाओं के बीज
very meaningful Dohe!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट बेहद पसंद आई! इसलिए आपको बधाई और शुभकामनाएं!
"मुद्दों पर आधारित स्वस्थ बहस के लिए हमारे ब्लॉग
http://tv100news4u.blogspot.com/
पर आपका स्वागत है!
bahut achche dohe.
जवाब देंहटाएंदोहों के माध्यम से बढि़या चुटकियां ली है आपने।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति।
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