1 नवंबर 2011

हमें उम्र भर मम्मी पापा के सँग में ही रहना है - 30 मात्रा वाले 6 प्रकार के छंद


प्यारी प्यारी मम्मी जब भी अपनी धुन में आती थी
गोदी में ले कर के हमको ट्विंकल ट्विंकल गाती थी
गोल गोल रसगुल्ले जैसे गालों को सहलाती थी
पकड़ हमारी नक्को रानी हँसती और हँसाती थी

पापा घर में कम रहते थे ऑफिस भी तो जाते थे
चोर नज़र से हमें देख कर मंद मंद मुस्काते थे 
खूब मज़े करवाने हमको पिकनिक पर ले जाते थे  
दोस्त समझ कर दुनियादारी की बातें समझाते थे

मातु-पिता का साथ रहे तो सक्सिस मिलनी नक्की है
इन के बिना निरर्थक जीवन, मीनिंग लेस तरक्की है
दुनिया वाले कुछ भी बोलें बात मगर ये पक्की है
मातु पिता का प्यार जगत में जिसे मिला वो लक्की है

शब्दों की मुहताज नहीं हैं मम्मी पापा की  बातें
ऊपर वाले की किरपा से हमें मिलीं ये सौगातें
अहसानों को अगर गिनेंगे, बोझ तले दब जायेंगे
दो-जीवन सेवा कर के भी उरिन नहीं हो पायेंगे 

तुमने ही तो  कहा गृहस्थी सब से उत्तम गहना है
उसकी आभा फ़ैली जग में जिसने इसको पहना है
वही याद कर हाथ जोड़ कर बस इतना सा कहना है
हमें उम्र भर मम्मी पापा के सँग में ही रहना है

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कभी कभी ऐसा भी होता है कि जब हम लिखने बैठते हैं तो बस लिखते ही चले जाते हैं| ऐसा ही हुआ इस रचना के साथ भी| लिखने के बाद सोचा चलो अब देखें कि इसे कौन से छंद में लिखा है? मात्रा गिनीं तो ३० मात्राओं का योग बना| अब ३० मात्रा वाले तो कईयों छंद होते हैं| फिर सोचा चलो इसी बहाने ३० मात्रा वाले कुछ एक छंदों को ब्लॉग के सुपुर्द कर दिया जाए| और इसी क्रम में फिर कुछ और पंक्तियाँ भी लिखीं : -

किसे किसे बोलें दिल की बातें दिल दहल न जाय कहीं
राग द्वेष वाली जुल्मी दुनिया पर असर निमेश नहीं
बातों बातों में जहाँ हलाल करे दुनिया पल में ही
इस से तो रहना भला हमेशा माँ के आँचल में ही

उठते गिरते पड़ते जो भी मनुआ तेरे हाथ लगे
करना उसे कुबूल ह्रदय से यही समझना भाग जगे
सबकी कहाँ एक सी किस्मत मिलती है इस दुनिया में
मुरझाती है कली वही तो खिलती है इस दुनिया में
 

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अब ३० मात्रा योग वाले इन छह प्रकार के छंदों के नाम तथा उदाहारण मात्रा गणना के साथ

[१]
१६+१४=३० मात्रा अंत में ३ गुरु - ताटंक छंद

प्यारी प्यारी मम्मी जब भी
२२ २२ २२ ११ २ = १६
अपनी धुन में आती थी
११२ ११ २ २२ २ = १४
गोदी में ले कर के हमको 
२२ २ २ ११ २ ११२ = १६
ट्विंकल ट्विंकल गाती थी
२११ २११ २२ २ = १४
गोल गोल रसगुल्ले जैसे
२१ २१ ११२२ २२ = १६
गालों को सहलाती थी
२२ २ ११२२ २ = १४
पकड़ हमारी नक्को रानी
१११ १२२ २२ २२ = १६
हँसती और हँसाती थी
११२ २१ १२२ २ = १४ 

पापा घर में कम रहते थे
२२ ११ २ ११ ११२ २ = १६
ऑफिस भी तो जाते थे
२११ २ २ २२ २ = १४
चोर नज़र से हमें देख कर 
२१ १११ २ १२ २१ ११ = १६
मंद मंद मुस्काते थे 
२१ २१ २२२ २ = १४
खूब मज़े करवाने हमको
२१ १२ ११२२ २२ = १६
पिकनिक पर ले जाते थे  
११११ ११ २ २२ २ = १४
दोस्त समझ कर दुनियादारी
२१ १११ ११ ११२२२ = १६
की बातें समझाते थे
२ २२ ११२२ २ = १४

मातु-पिता का साथ रहे तो
२१ १२ २ २१ १२ २ = १६
सक्सिस मिलनी नक्की है
२११ ११२ २२ २ = १४
इन के बिना निरर्थक जीवन,
११ २ १२ १२११ २११ = १६
मीनिंग लेस तरक्की है
२११ २१ १२२ २ = १४
दुनिया वाले कुछ भी बोलें
११२ २२ ११ २ २२ = १६
बात मगर ये पक्की है
२१ १११ २ २२ २ = १४
मातु पिता का प्यार जगत में
२१ १२ २ २१ १११ २ = १६
जिसे मिला वो लक्की है
१२ १२ २ २२ २ = १४  

शब्दों की मुहताज नहीं हैं 
२२ २ ११२१ १२ २ = १६
मम्मी पापा की  बातें
२२ २२ २ २२ = १४
ऊपर वाले की किरपा से
२११ २२ २ ११२ २ = १६
हमें मिलीं ये सौगातें
१२ १२ २ २२२ = १४
अहसानों को अगर गिनेंगे,
११२२ २ १११ १२२ = १६
बोझ तले दब जायेंगे
२१ १२ ११ २२२ = १४
दो जीवन सेवा कर के भी 
२ २११ २२ ११ २ २ = १६
उरिन नहीं हो पायेंगे 
 १११ १२ २ २२२ = १४

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[२]
८+८+८+६ = ३० मात्रा १ गुरु - शोकहर छंद

तुमने ही तो / कहा गृहस्थी 
११२ २ २ / १२ १२२ = १६
सब से उत्तम / गहना है
११ २ २११ / ११२ २ = १४
उसकी आभा / फैली जग में
११२ २२  / २२ ११ २  = १६
जिसने इस को / पहना है
११२ २२ / ११२ २ = १४
वही याद कर, / हाथ जोड़ कर, 
१२ २१ ११ / २१ २१ ११ = १६
बस इतना सा / कहना है
११ ११२ २ / ११२ २ = १४
हमें उम्र भर / मम्मी पापा
१२ २१ ११ / २२ २२  = १६
के सँग में ही / रहना है
 २ ११ २ २  / ११२ २ = १४  


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[३]
१०+८+१२=३० मात्रा अंत में १ गुरु - चवपैया छंद

किसे किसे बोलें - १० 
दिल की बातें - ८ 
दिल दहल न जाय कहीं - १२
राग द्वेष वाली   - १० 
जुल्मी दुनिया - ८
पर असर निमेश नहीं - १२

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[४]
१३+१७=३० मात्रा २ गुरु - कर्ण छंद

बातों बातों में जहाँ - १३
हलाल करे दुनिया पल में ही - १७
इस से तो रहना भला - १३
हमेशा माँ के आँचल में ही - १७  
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[५]
१६+१४=३० मात्रा अंत में १ गुरु - रुचिरा छंद

उठते गिरते पड़ते जो भी - १६
मनुआ तेरे हाथ लगे - १४
करना उसे कुबूल ह्रदय से - १६
यही समझना भाग जगे - १४

[६]
१६+१४=३० मात्रा अंत में २ गुरु - ककुभ छंद

सबकी कहाँ एक सी किस्मत - १६
मिलती है इस दुनिया में - १४
मुरझाती है कली वही तो - १६
खिलती है इस दुनिया में - १४ 

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ये सारे छंद चार चरण के होते हैं| 
यहाँ उदाहरण देते हुए कुछ छंदों को सिर्फ दो चरणों 
के साथ ही लिखा गया है, जिसे वास्तविक रचना 
करते हुए ध्यान रखना आवश्यक है|
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तो ये थे ३० मात्रा वाले छह छंदों के उदाहारण| मैंने अपना काम किया है| 
यदि आप को यह उपयोगी लगे तो इस काम को इस के चाहने वालों तक अवश्य पहुँचायें|

20 टिप्‍पणियां:

  1. रचना बहुत अच्छी लगी ..और छंद ज्ञान भी .. ज्ञानवर्द्धक पोस्ट

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  2. एक ही रचना में छंद के इतने सारे प्रकार...अद्‌भुत...रचना बहुत भावपूर्ण है|

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  3. अद्भुत... जितने सुन्दर छंद एक ही रचना में गूँथ दिए उतना ही सुन्दर छंदों का विश्लेषण और जानकारी.... सचमुच बहुमूल्य पोस्ट है....
    सादर आभार...

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  4. बहुत सुंदर और भावपूर्ण...

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  5. रचना बहुत भावपूर्ण है| धन्यवाद|

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  6. नवीन जी आपतो ज्ञान की गंगा बहाते जा रहे है. अब हम जैसे अज्ञानी कोशिश करते रहते है कि कुछ समेट सके.

    अद्भुत प्रयोग. बधाई.

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  7. यहां जब भी आता हूं कुछ नया सीख कर जाता हूं।

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  8. बहुत उपयोगी जानकारी। ऐसे ही विविध छंदों के बारे में बताते रहें। आभार।

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  9. कल 04/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  10. सुंदर सुंदर ... सुंदर भाई
    उत्तम उत्तम ... उत्तम भाई.

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  11. नवीन जी आपने तो एक तीर से दो निशाने साध दिये ,, बहुत खूब

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  12. bahut hi subdar,sach hame bhi bhi umar bhar mammi pap ke sang hi rehna tha...

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  13. वाह ...बहुत बढि़या रूचिकर और ज्ञानवर्धक भी आभार इस बेहतरीन प्रस्‍तुति का ।

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  14. अति सुन्दर और ज्ञानवर्धक

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  15. आपकी छंद-साधना प्रणम्य है।
    आपके माध्यम से हमें बहुत कुछ जानने का अवसर मिल रहा है।
    मनहर रचनाओं के लिए बधाई।

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  16. आपका छंद ज्ञान अद्भुत है

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  17. आपने अरिल्ल छंद तो बताया पर अरिल छंद के बारे में नही बताया।अरिल छंद हरियाणा के लोक कवि पः महोर सिंह ने प्रयोग किया है।यदि आपके पास जानकारी है तो बताएँ ।

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