अक्सर ऐसे भी दिखें, कुछ modern परिवार|
मिल जुल कर ज्यों चल रही, गठबंधन सरकार||
गठबंधन सरकार, सरोकारों के सौदे|
अपने-अपने भिन्न, सभी के पास मसौदे|
नित्य नया सा खेल, खेलते हैं ले-दे कर|
दिखते संग, परंतु, दूर होते हैं अक्सर||
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अद्भुत! ये सब नवीन भाई आप ही कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंहम तो बस ठाले बैठे निठल्ले हैं।।
बहुत खूब| कई दिनों बाद आना हुआ|यहाँ कविताओं के इतने सारे रूप देखकर बार बार हिंदी साहित्य में और रूचि जागृत होती है| यह मेरा प्रिय विषय है |आशा है इस ब्लॉग पर बहुत कुछ सीखने को मिलेगा| समस्यापूर्ति मंच का पता भी मिल गया| धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसच है, सबका ही ख्याल रखना पड़ता है।
जवाब देंहटाएंएकल परिवार के बढ़ते चलन पर कुण्डली के ज़रिये सटीक व्यंग.
जवाब देंहटाएंआज के सन्दर्भ में कुंडली का प्रयोग बहुत अच्छा लगा बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
आज की कुंडली में आज के पारिवारिक सन्दर्भ को सटीक रूप में दिखाया है ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब नवीन भाई !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... गठबंधन सरकार तो ऐसे ही चलती है ... फायदा देखते हैं अपना अपना ..
जवाब देंहटाएंवर्तमान राजनीतिक दशा पर कटाक्ष करता शानदार छंद...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब नवीन भाई। कुंडली से आज की स्थिति का सटीक वर्णन किया है आपने।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा है आपने.
जवाब देंहटाएंअंबेडकर और गाँधी
बढ़िया छंद और कथ्य दोनों ...नवीन भाई
जवाब देंहटाएंगठ्बंधनिया सरकार के मार्फ़त विच्छिन्न होते परिवारों पर व्यंग्य कसाव -दार धार -दार.
जवाब देंहटाएंकथ्य और शैली दोनों प्रभावशाली हैं
जवाब देंहटाएंइस फ़न में तो ख़ास महारत है आपको
बधाई स्वीकारें .
क्या सचबयानी की है नवीन जी आपने
जवाब देंहटाएंसत्य कहा ...सटीक तुलना की है कुंडलियों के माध्यम से...
जवाब देंहटाएंनित्य नया सा खेल, खेलते हैं ले-दे कर।
जवाब देंहटाएंदिखते संग परंतु, दूर होते हैं अक्सर।
आधुनिक परिवारों की जीवन शैली पर तीखा कटाक्ष।
बढ़िया रचना।
कुंडली से आज की स्थिति का सटीक वर्णन किया है|बढ़िया रचना।
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