10 अक्तूबर 2010

चेहरे बदलने थे मगर बस आइने बदले गये - नवीन

चेहरे बदलने थे मगर बस आइने बदले गये
इनसाँ बदलने थे मगर बस कायदे बदले गये

हर गाँव, हर चौपाल, हर घर का अहाता कह रहा
मंज़िल बदलनी थी मगर बस रासते बदले गये

अब भी गबन, चोरी, छलावे हो रहे हैं रात दिन
तब्दीलियों के नाम पर बस दायरे बदले गये

जिन मामलों के फ़ैसलों के मामले सुलझे नहीं
उन मामलों के फ़ैसलों के फ़ैसले बदले गये



बहरे रजज मुसम्मन सालिम 
मुसतफइलुन मुसतफइलुन मुसतफइलुन मुसतफइलुन 
२२१२ २२१२ २२१२ २२१२

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