10 अक्तूबर 2010

अगर कोशिश नहीं होती तो लोहा किस तरह उड़ता - नवीन

अदावत को भले ही कोई सी भी दृष्टि से देखें
मुहब्बत को तो केवल बन्दगी की दृष्टि से देखें 
 
ये अच्छा है - बुरा है वो, ये अपना है - पराया वो
अमां इन्सान को इन्सान वाली
दृष्टि से देखें
 
ये राहें आग ने खोलीं, हवा ने हौसला बख़्शा
न हो विश्वास तो ख़ुद को पराई दृष्टिसे देखें
 
अगर कोशिश नहीं होती तो लोहा किस तरह उड़ता
हमारी कोशिशों को हौसलों की दृष्टि से देखें


बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन  मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन 
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

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