उल्टा-सीधा पाठ पढ़ा के पहिले त
भरमावल जाई
ना मनिहें त सोंटा लेके बबुआ के
सरीआवल जाई .
गर्म मिजाजन के गर्मी के सपना से
सेरवावल जाई
झूठ के इंधन बारके बबुआ साँच में आँच लगावल जाई
अब्बर देबी जब्बर बोका ,सांकल
पंडित ,बहकल
पूजा
अबकी बोका के बेदी पर देबी-मुंड
चढ़ावल जाई
जबतक उनकर तेल जरत बा सगरी गाँव
अँजोर भइल बा
बाकि जहिया उ खिसिअहिएँ ,कइसे
दीप जरावल जाई ?
तूँहूँ चेत$ " पवन’’ कि लगले अब खतरा के घंटी बाजी
आखिर ई कब तक ले-देके आपन काम चलावल
जाई
रुसल राग मनाईं कईसे
प्रेम के गितिया गाईं कईसे
हम सावन के बादर नइखीं
लहकत गाँव बुताईं कईसे
मारू बाजा बाज रहल बा
धीरे हम बतिआईं कईसे
जेकरा मति में भाँग परल बा
ओकरा के समझाईं कईसे
देबी देवता सुनते नइखन
राछस से बतियाईं कईसे
पार पहाड़न के मंजिल बा
अतना साँस जुटाईं कईसे
बोलला में खतरा बा ,बाकी
जिभिया के समझाईं कईसे
:- पवन श्रीवास्तव
Mob.09471237644
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