31 जुलाई 2014

भोजपुरी गजलें - इरशाद खान सिकन्दर

खेते ईंट उगावल छोड़ा
धरती के तड़पावल छोड़ा

आधी रात के खोंखी आई
सँझवे से मुंह बावल छोड़ा

जून जमाना गइल ऊ काका
लइकन के गरियावल छोड़ा

बात समझ में आवत नइखे
बेसी बात बनावल छोड़ा

काम अधिक बा छोट ह जिनकी
जाँगर तू लुकवावल छोड़ा

भँइस के आगे बीन बजाके
आपन गुन झलकावल छोड़ा




छूटल आपन देस विधाता
गाँव भइल परदेस विधाता

केहू राह निहारत होई
लागी दिल पर ठेस विधाता

जोहत जोहत आँख गइल अब
कब आई सन्देस विधाता

उखड़ल उखड़ल मुखड़ा सबके
काहे बिखरल केस विधाता

चरिये दिन में खूब देखवलस
जिनगी आपन टेस विधाता

ओही खातिर धइले बानी
जोगी के ई भेस विधाता

:- इरशाद खान सिकन्दर
9818354784

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