31 जुलाई 2014

ढल न जाये ज़िन्दगी की शाम आओ प्यार कर लें - डा. उर्मिलेश

ढल न जाये ज़िन्दगी की शाम
आओ प्यार कर लें
ज़िन्दगी का है यही पैगाम
आओ प्यार कर लें

आज ख़ुशियाँ हैं उमङ्गें हैं, जवानी है
सिर्फ़ तुम हो और मैं हूँ – रुत सुहानी है
कल न जाने क्या मिले परिणाम
आओ प्यार करलें
ज़िन्दगी का है यही पैगाम
आओ प्यार कर लें

क्या ख़बर कब वक़्त की सरगम बदल जाये
गन्ध जन्मे रूप का मौसम बदल जाये
इसलिये अब छोड़ कर सब काम 
आओ प्यार करलें
ज़िन्दगी का है यही पैगाम
आओ प्यार कर लें

उलझनों के दौर आख़िर कम नहीं होंगे
याद भर होगी हमारी – हम नहीं होंगे
मौत कर देगी सपन नीलाम
आओ प्यार कर लें

होंठ पर जब-जब तुम्हारा नाम होता है
और हाथों में सजीला जाम होता है
गीत गाते हैं उमर-ख़ैयाम
आओ प्यार कर लें
ज़िन्दगी का है यही पैगाम
आओ प्यार कर लें

प्यार में यदि दर्द के उत्सव नहीं होते
तो कभी विह्वल यहाँ उद्धव नहीं होते

तुम बनो गोपी, बनूँ मैं श्याम
आओ प्यार कर लें 

ज़िन्दगी का है यही पैगाम
आओ प्यार कर लें

:- डा. उर्मिलेश

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