हमारी
गैल में रपटन मचायबे बारे
तनौ
ई रहियो हमन कूँ गिरायबे बारे
बस
एक दिन के लिएँ मौन-ब्रत कूँ रख कें देख
मेरी
जबान पे तारौ लगायबे बारे
जनम-जनम
तोहि अपनेन कौ संग-साथ मिले
हमारे
गाम सूँ हम कूँ हटायबे बारे
हमारे
लाल तिहारे कछू भी नाँइ नें का
हमारे
‘नाज में कंकर मिलायबे बारे
हमें
जराय कें अपनी हबस कूँ सांत न कर
पलक-पलक सूँ नदिन कूँ बहायबे बारे
[भाषा धर्म के अधिकतम निकट रहते हुये उपरोक्त गजल का भावार्थ]
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
[भाषा धर्म के अधिकतम निकट रहते हुये उपरोक्त गजल का भावार्थ]
हमारी राह फिसलनी बनाने वाले तू
तना ही रहना हमन को गिराने वाले तू
बस एक दिन के लिये मौन व्रत को रख कर देख
तना ही रहना हमन को गिराने वाले तू
बस एक दिन के लिये मौन व्रत को रख कर देख
मेरी
ज़बान पे ताला लगाने वाले तू
जनम-जनम
सदा अपनों के सङ्ग-साथ रहे
हमारे गाँव से हमको हटाने वाले तू
हमारे गाँव से हमको हटाने वाले तू
हमारे बच्चे तेरे कुछ नहीं हैं क्या – कह तो
हमारे [अ] नाज में कङ्कड़ मिलाने वाले तू
हमें जला के स्वयं की हवस को शान्त न कर
तमाम पलकों से नदियाँ नित बहाने वाले तू
हमारे [अ] नाज में कङ्कड़ मिलाने वाले तू
हमें जला के स्वयं की हवस को शान्त न कर
तमाम पलकों से नदियाँ नित बहाने वाले तू
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
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