कह रहे हैं बड़े मज़े में हैं - नवीन

कह रहे हैं बड़े मज़े में हैं
सब के सब क्या मुगालते में हैं
मैं न कहता था आ रहा है चाँद
कुछ सितारे भी रास्ते में हैं
ख़ुद को आवाज़ दी तो इल्म हुआ
ज़िन्दगी! सब तेरे कहे में हैं
हमने हर दौड़ नींद में जीती
मुश्किलें सिर्फ़ जागते में हैं
मैं कहाँ हूँ मुझे नहीं मालूम
हाँ, मेरे पाँव – बुतकदे में हैं
मन सभी के सुलह को हैं तैयार
सिर्फ़ तन ही मुक़ाबले में हैं
जिस्म को कम न आँकिये साहब
सब सरंजाम इस किले में हैं
मछलियाँ किस तरह रखें रोज़े
ख़ामियाँ अपने सोचने में हैं
सच बताना मिले हैं किस-किस से
हार, जो आप के गले में हैं
नवीन सी चतुर्वेदी
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.