सीधी-सच्ची फिर भी अच्छी लगने वाली बात करें
मृगनैनी की चंचल अँखियाँ आईनों को मात करें
प्यार-मुहब्बत में इतना शक़ अच्छी बात नहीं है यार
इस से बहतर मेरे दिल पर ख़ुद ही को तैनात करें
हम उस वक़्त के लमहे हैं जब ये सिखलाया जाता था
कभी-कभी बच्चे बन कर बच्चों की तहक़ीक़ात करें
इश्क़ नहीं मापा जाता है थर्मामीटर से साहब
या तो अपने होठों से या आँखों से बरसात करें
इकतरफ़ा ब्यौहार मुहब्बत को ठंडा कर देता है
बहुत हुआ आयात, कभी ख़ुद भी तो
कुछ निर्यात करें
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