क्यूँ तेरी सौगंध खाऊँ साँवरे
मान या मत मान मरज़ी है तेरी
चीर कर दिल क्यूँ दिखाऊँ साँवरे
मान या मत मान मरज़ी है तेरी
हाँ मुझे तुझ से मुहब्बत हो गयी
बिन तेरे बीमार हालत हो गयी
मैं हक़ीक़त क्यूँ छुपाऊँ साँवरे
मान या मत मान मरज़ी है तेरी
तू भी अब रस्मेमुहब्बत को निभा
खुद-ब-खुद आ कर मुझे दिल से लगा
मैं ही क्यूँ हर दम बुलाऊँ साँवरे
मान या मत मान मरज़ी है तेरी
मान या मत मान मरज़ी है तेरी
चीर कर दिल क्यूँ दिखाऊँ साँवरे
मान या मत मान मरज़ी है तेरी
हाँ मुझे तुझ से मुहब्बत हो गयी
बिन तेरे बीमार हालत हो गयी
मैं हक़ीक़त क्यूँ छुपाऊँ साँवरे
मान या मत मान मरज़ी है तेरी
तू भी अब रस्मेमुहब्बत को निभा
खुद-ब-खुद आ कर मुझे दिल से लगा
मैं ही क्यूँ हर दम बुलाऊँ साँवरे
मान या मत मान मरज़ी है तेरी
ऐसा अधिकारपूर्ण प्रेम बस कान्हा से ही हो सकता है..
जवाब देंहटाएं