11 अक्तूबर 2011

बातों की परवा क्या करना, बातें करते लोग

बातों की परवा क्या करना, बातें करते लोग।
बात-कर्म-सिद्धांत-चलन का, नदी नाव संजोग।।
कर्म प्रधान सभी ने बोला, यही जगत का मर्म।
काम बड़ा ना छोटा होता, करिए कभी न शर्म।१।

वक़्त दिखाए राह उसी पर, चलता है इंसान।
मिले वक़्त से जो जैसा भी , प्रतिफल वही महान।।
मुँह से कुछ भी कहें, समय को - देते सब सम्मान।
बिना समय की अनुमति, मानव,  कर न सके उत्थान।२।


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सरसी छंद

16+11=27 मात्रा वाला मात्रिक छंद 
कुल चार चरण 
प्रत्येक चरण के अंत में गुरु लघु

6 टिप्‍पणियां:

  1. कल 05/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. छंद से भी परिचय मिला और जीवन के सत्य से भी ..अच्छी प्रस्तुति

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  3. आपकी लेखनी सदा चमत्कृत करती है!

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  4. नया परिचय... सशक्त छंद...
    सादर आभार...

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