गैंदा, चम्पा, जूही, हरसिंगार, चमेली
कमल, गुलाब, कदम्ब, रातरानी अलबेली
कमल, गुलाब, कदम्ब, रातरानी अलबेली
तरह - तरह के फूल, सभी के रंग निराले
अलग - अलग खुश्बू सबकी और ढंग निराले
अलग - अलग खुश्बू सबकी और ढंग निराले
अपने - अपने मौसम में सब धूम मचाते
पंच तत्व का सार, सभी जन को समझाते
पंच तत्व का सार, सभी जन को समझाते
एक बाग में तरह - तरह के फूल महकते
आपस में हिल - मिल रहते, ना कभी बहकते
आपस में हिल - मिल रहते, ना कभी बहकते
छोटी सी बगिया जैसी है, दुनिया सारी
भाँति - भाँति के फूल जहाँ सब हैं नर नारी
भाँति - भाँति के फूल जहाँ सब हैं नर नारी
फूलों की ही तरह सभी जीना सीखें गर
सारे दुख मिट जायें और जीवन हो सुखकर
सारे दुख मिट जायें और जीवन हो सुखकर
बहुत सुंदर नवीन भाई, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआभार डी के भाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जनाब संजय साहब
जवाब देंहटाएंफूलों की ही तरह सभी जीना सीखें गर
जवाब देंहटाएंसारे दुख मिट जायें और जीवन हो सुखकर
काव्य का
खूबसूरत होना तो अहम् बात है ही ...
लेकिन रचना में सब जन के लिए
एक पैगाम छोड़ जाना
और भी अहम् हो जाता है
और यही रचनाकार की कुशलता को साबित करता है
इस अनुपम कृति पर बधाई स्वीकारें
दानिश भाई सराहना के लिए सहृदय आभार|
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