याँ से
वाँ तक पूरी की पूरी ज़मीन
ग़म-गजाले की है कस्तूरी ज़मीन
ग़म-गजाले की है कस्तूरी ज़मीन
आदमीयत के हरिक बाज़ार में
वक़्त है दूकान दस्तूरी ज़मीन
वक़्त है दूकान दस्तूरी ज़मीन
हर बरस जिस की उजड़ जाती है माँग
ऐसी दुलहन की है मज़बूरी ज़मीन
ऐसी दुलहन की है मज़बूरी ज़मीन
ताकि बच्चे बोझ मत समझें उसे
माफ़ कर देती है मज़दूरी ज़मीन
माफ़ कर देती है मज़दूरी ज़मीन
आरती का ध्यान धर कर देखिये
क्या महक उठती है कर्पूरी ज़मीन
क्या महक उठती है कर्पूरी ज़मीन
जैसे ही अम्बर उड़ाता है गुलाल
बाँटने लगती है अड़्गूरी ज़मीन
बाँटने लगती है अड़्गूरी ज़मीन
पाँव तक रखने न दे यम को ‘नवीन’
जिद पे आ जाये जो सिन्दूरी ज़मीन
जिद पे आ जाये जो सिन्दूरी ज़मीन
बहरे
रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाइलातुन
फ़ाइलातुन फ़ाइलुन ,
2122 2122 212
नवीन
सी चतुर्वेदी
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