12 अगस्त 2016

ब्रज गजल - पवन कुमार

Pawan Kumar Ias's profile photo
पवन कुमार 

नहीं इक, दसन बार पैदा भयौ है। 
खुदइ में खरीदार पैदा भयौ है॥

नयौ जो यै किरदार पैदा भयौ है। 
गजब कौ अदाकार पैदा भयौ है॥

यै जो बेच मारै सो थोरौ समझियो। 
घरन में जो बाजार पैदा भयौ है॥ 

हमारी तरफ ध्यान तक है न या कौ। 
यै कैसौ तरफदार पैदा भयौ है॥ 

हिजाबन सों निकसौ तौ बानक बनैं कछ। 
तकल्लुफ सों कब प्यार पैदा भयौ है॥

पवन कुमार
9412290079


ब्रज गजल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें